दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन के मामले में प्रदेश के मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के मद्देनजर उन्हें मंत्रिमंडल से निलंबित करने का अनुरोध करने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
धनशोधन के मामले में ईडी की गिरफ्त में हैं सत्येंद्र जैन
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग की याचिका खारिज करने का आदेश दिया। विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता ने पहले कहा था कि जैन को कोलकाता की एक कंपनी के साथ 2015-2016 में हवाला लेनदेन में कथित संलिप्तता के लिए धनशोधन के मामले में गिरफ्तार किया गया, जो कानून के प्रतिकूल है, क्योंकि वह एक सार्वजनिक सेवक हैं, जिन्होंने जनहित में कानून का राज बनाए रखने की संवैधानिक शपथ ली है।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि यह काम मुख्यमंत्री का है कि जनता के हित में सही फैसला करें और विचार करें कि क्या एक आपराधिक पृष्ठभूमि या नैतिक पत्तन के आरोपी को नियुक्त किया जाए और मंत्री के पद पर बरकरार रखा जाए या नहीं।
केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली, 1965 के तहत किया गया दावा
याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा परिदृश्य सार्वजनिक सेवक पर लागू कानून के प्रावधान के विपरीत है, जिन्हें केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली, 1965 के नियम 10 के अनुसार 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहने के बाद तत्काल निलंबित माना जाना चाहिए।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को धनशोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत 30 मई को गिरफ्तार किया गया था और पहले उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया था तथा उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेजा गया।