नई दिल्ली : पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश साहिब सिंह मंगलवार को संसद में जमकर गरजे। उन्होंने लोकसभा में नियम 377 के माध्यम से संसद में दिल्ली में सीलिंग के लिए जिम्मेदार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग समिति को भंग करने का मामला उठाया। इसके बाद से मीडिया में उनके संसद में दिए गए भाषण को हाथों हाथ लिया गया।सांसद प्रवेश ने मंगलवार को संसद की कार्यवाही के दौरान कहा कि मार्च, 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने आवासीय परिसरों के व्यावसायिक उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए भूरेलाल समिति का गठन किया था।
13 वर्षों में समिति ने हजारों संपत्तियों को सील कर दिया। हालांकि समिति के कामकाज के तरीके अनुचित होने के बारे में गंभीर आलोचना हुई है। उन्होंने कहा कि समिति अक्सर परिसर के अधिभोगियों को सीलिंग की पूर्व सूचना देने में विफल रहती है। ऐसे मामले हैं, जहां सील होने वाली पार्टी को सीलिंग के समय कोई औचित्य (मौखिक या वृत्तचित्र) प्रदान करने के अवसर से वंचित किया जाता है।
इसके अलावा उत्तेजित पक्ष को समिति के समक्ष अपना मामला प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त करने के लिए एक लाख रुपए की भारी राशि जमा करना आवश्यक है। एकमात्र शेष तरीका रहता है, वह है अदालत में जाना, जो कि महंगा और समय लेने वाला रास्ता है। सांसद ने आगे कहा कि इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह एक उचित और गैर-मनमाना विकल्प लाने के लिए समिति को भंग करे। हालांकि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करना आवश्यक है, लेकिन यह लोकतांत्रिक तरीके से और बिना अन्याय के होना चाहिए।
प्रदूषण पर आप सांसदों को भी लिया आड़े हाथ
सांसद प्रवेश ने संसद में कहा कि यदि पराली का धुआं दिल्ली आ रहा है तो आम आदमी पार्टी के पंजाब के साथी चर्चा के दौरान संसद से क्यों गायब हैं। दिल्ली में प्रदूषण से जनता त्रस्त हो गई, लेकिन पांच वर्षों में, 2019 के अंत तक डीटीसी ने एक भी नई बस क्यों नहीं खरीदी? उन्होंने कहा कि दिल्ली में अगर किसी ने प्रदूषण कम करने के लिए काम किया तो भाजपा की सरकार ने किया है।
दिल्ली में इस वक्त पूरी दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के सभी सासंद दिल्ली में हो रहे खतरनाक प्रदूषण से परेशान हैं। सभी सासंदों को मिलकर दिल्ली में हो रहे प्रदूषण से लड़ने के लिए आगे आना चाहिए व हमारी दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हो रहे प्रदूषण की जिम्मेदार केजरीवाल सरकार है, उनके साथ-साथ अब पूरी दिल्ली खांसती है। साथ ही सवाल उठाया कि दिल्ली में बांटे हुए 50 लाख मास्क कहां गए?