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किसानों द्वारा बंद केएमपी एक्सप्रेस वे खोला गया, 5 घंटे बाद राहगीरों ने ली राहत की सांस

संयुक्त किसान मोर्चा के केएमपी एक्सप्रेस वे बंद करने के आह्वान के बाद 4 बजते ही किसानों ने हाइवे को खोल दिया। डासना टोल स्थित इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे स्थित बैठे किसान सड़कों से उठ गए हैं और जो गाड़ियां खड़ी हुई थीं उन्हें उनके गन्तव्य की ओर रवाना किया जा रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा के केएमपी एक्सप्रेस वे बंद करने के आह्वान के बाद 4 बजते ही किसानों ने हाइवे को खोल दिया। डासना टोल स्थित इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे स्थित बैठे किसान सड़कों से उठ गए हैं और जो गाड़ियां खड़ी हुई थीं उन्हें उनके गन्तव्य की ओर रवाना किया जा रहा है।
गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने गाजियाबाद ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को सुबह 11 बजे बंद किया, हालांकि इस दौरान इमरजेंसी वाहनों को जाने की अनुमति दी गई। लेकिन अन्य राहगीरों के लिए किसानों द्वारा बंद रास्तों से जाने की अनुमति नहीं दी गई। गाजियाबाद प्रशासन ने समय होते ही किसानों से बात की और कुछ देर की बातचीत के बाद मार्गो पर लगाई गई गाडियों को हटा लिया गया।
इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे अब पहले की तरफ सामान्य रूप से गाडियों की आवाजाही शुरू हो गई है। 100 दिन पूरे होने पर किसानों ने केएमपी बंद करने का आह्वान किया, किसानों के अनुसार वो पूरा हो गया है। सड़कों पर बैठे किसानों ने कहा 11 बजे से 4 बजे तक बंद करना था। हमारा मकसद पूरा हो चुका है और हम उठ रहे हैं। डासना टोल स्थित इस्टर्न पेरिफेरल से सुबह 11 बजे से 4 बजे तक 4 एम्बुलेंस गुजरीं, जिन्हें किसानों ने खुद रास्ता दे कर निकलने दिया।
वहीं दो पहिया वाहनों जिनपर छोटे बच्चे या महिला बैठी हुई थीं, उन्हें भी जाने के लिए रास्ता दिया गया। हालांकि इस दौरान जिन लोगों को किसानों ने रास्ता नहीं दिया उनके और किसानों के बीच झड़प भी हुई। इस्टर्न पेरिफेरल से गुजर रहे एक संत भी किसानों से इसी मसले पर उलझ गए। लेकिन फिर भी उन्हें जाने नहीं दिया गया।
5 घंटे की नाकाबंदी के दौरान किसानों ने हाइवे पर लंगर सेवा भी शुरू की, उन्होंने सड़क पर बैठे किसानों को खाना परोसा वहीं रास्ता खुलने से ठीक पहले लंगर सेवा बंद कर दी। दूसरी ओर किसानों ने बीच सड़कों पर रागिनी गाकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज भी कराया। फिलहाल सभी किसान हाइवे से उठ कर अपने अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए हैं।

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