दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को नेशनल स्टेडियम में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के सहयोग से स्थापित एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सेंटर का दौरा किया। मंत्री ने केंद्र का दौरा कर यह समझने की कोशिश की कि दिल्ली के अंदर हवा में पीएम 10, पीएम 2.5 और पीएम 1 के बढ़ने और घटने की वजह क्या है। इस केंद्र में लगी मशीनें एक निश्चित समय के दौरान वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण बताने में समक्ष हैं। यह मशीनें बता सकती हैं कि एक निश्चित समय में किन कारणों से हवा में पीएम 10, पीएम 2.5 और पीएम 1 की मात्रा बढ़ या घट रही है।
इस केंद्र से अगले माह आने वाली अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर सरकार जन आंदोलन के जरिए लोगों को जागरूक करके और कार्य योजना बनाकर दिल्ली के अंदर बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने पर प्रभावी कदम उठाएगी। गोपाल राय ने बताया कि अभी दिल्ली के अंदर जो वायु गुणवत्ता है, उसके क्या पैरामीटर हैं, वायु गुणवत्ता में पीएम 10, पीएम 2.5, पीएम 1 के कण कितनी मात्रा में हैं। इसे लेकर काफी लंबे समय से स्टडीज आती रही हैं। देश के अंदर वायु प्रदूषण को लेकर मुख्य रूप से तीन स्टडीज आई हैं। पहली स्टडीज 2010 में नागपुर की आई थी। दूसरी स्टडीज 2016 में आईआईटी कानपुर की और तीसरी स्टडीज 2018 में टेरी की आई है।
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दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर अभी तक तीन स्टडीज आई हंै। इन तीनों स्टडीजमें एक खास समय का डाटा लिया गया और उसके बाद एक अनुमान के आधार पर उसी को हर समय वायु गुणवत्ता के मूल्यांकन में थोपा जाता है। पिछले दिनों सरकार ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर वायु गुणवत्ता मापने के लिए मॉनिटरिंग सेंटर स्थापित किया है। इन सेंटरों पर अलग-अलग मशीनें लगी हैं, जो हर घंटे वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट देती हैं, जिससे हर घंटे पता चलता है कि वायु में पीएम 10 व पीएम 2.5 की मात्रा क्या है।