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बॉर्डर पर तैयार होने लगे पक्के मकान, प्रदर्शनकारी बोले- ये घर किसानों की इच्छा की तरह मजबूत और स्थायी

कृषि कानून के खिलाफ शनिवार को किसानों का 107वें दिन आंदोलन जारी रहा, हालांकि धीरे धीरे मौसम जिस तरह अपना मिजाज बदल रहा है उसी तरह किसान भी आंदोलन को तेज करने के लिए नए नए कदम उठा रहे हैं।

कृषि कानून के खिलाफ शनिवार को किसानों का 107वें दिन आंदोलन जारी रहा, हालांकि धीरे धीरे मौसम जिस तरह अपना मिजाज बदल रहा है उसी तरह किसान भी आंदोलन को तेज करने के लिए नए नए कदम उठा रहे हैं। ऐसे में गर्मियों से निपटने के लिए किसानों ने बॉर्डर पर ईंटों के पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए हैं। टीकरी बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान रहने के लिए स्थाई घर बना रहे हैं।
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एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “आंदोलन की कोई समयसीमा नहीं है और गर्मी का मौसम आ रहा है इसलिए हम स्थाई घर बना रहे हैं। अभी 25-30 पक्के मकान बन चुके हैं।” किसान सामाजिक सेना ने टिकरी सीमा पर एक स्थायी आश्रय स्थल का निर्माण किया है क्योंकि कृषि कानूनों का विरोध जारी है। किसान सामाजिक सेना के नेता अनिल मलिक ने कहा कि “ये घर किसानों की इच्छा की तरह मजबूत, स्थायी हैं। 25 मकान बने हैं, आने वाले दिनों में 1000-2000 मकान बनाए जाएंगे।”
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बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने ईंटों को जोड़कर सड़क पर ही पक्का मकान बनवाना शुरू कर दिया है, यह मकान सिंघु बॉर्डर स्थित मुख्य मंच से कुछ किलोमीटर आगे की ओर चलते ही दिख जाएंगे। बॉर्डर पर जिन जगहों पर किसानों ने टैंट लगाए थे, उन्ही जगहों पर अब मकान बनाए जा रहे हैं इसके लिए ईंट से लेकर मिस्त्री तक पंजाब से बुलवाए गए हैं।
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दरअसल बॉर्डर पर किसानों ने प्लास्टिक के टेंट बनाए थे, जिनमें ठंड तो गुजर गई लेकिन गर्मियों में इनमें तपिश होने के कारण रुका नहीं जाता। हालांकि गांव में इस्तेमाल होने वाली घांस भी मंगाई गई है, जिससे छप्पर पर डाला जा सके, लेकिन रात में मच्छर और दिन में गर्म जमीन किसानों को पक्के मकान बनाने पर मजबूर कर रही है।

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