सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मार्च, 2017 के उस आदेश पर लगी रोक हटा दी है, जिसमें कर्मियों के न्यूनतम वेतन को 37 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की गई थी। यह मामला अदालत में लगभग दो साल से लंबित है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल राज्य के कर्मियों की इस दलील पर सरकार की घोषणा पर रोक लगाई थी कि न्यूनतम वेतन और संशोधित वेतन से उन पर बुरा असर पड़ेगा।
सोमवार को अपने आदेश में न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा, हम याचिकाकर्ता राज्य (दिल्ली सरकार) को मसौदा अधिसूचना को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने की अनुमति देते हैं और उसे निर्देश देते हैं कि 31 अक्टूबर 2018 के आदेश में दिए गए निर्देश के अनुसार, अधिसूचना के प्रभावी होने तक रिलेशनशिप पर तीन मार्च 2017 की अधिसूचना लागू होगी। अधिसूचना जारी होने पर ही उपयुक्त कानून का पालन किया जा सकेगा।
दिल्ली सरकार ने अकुशल कर्मियों के लिए 14,842 रुपये प्रति महीने और क्लेरिकल या सुपरवाइजरी स्टाफ (गैर मेट्रीकुलेट्स) स्टाफ के लिए 16,341 रुपये प्रति महीने का प्रस्ताव दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि अगर कोई व्यक्ति अधिसूचना से असंतुष्ट है तो वह कानूनी सहायता ले सकता है।
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, सभी स्थाई, निश्चित अवधि, संविदात्मक, अस्थायी के साथ-साथ दिहाड़ी कर्मियों को इस आदेश से लाभ होगा। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा, कर्मियों की आपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।