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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को लगा झटका, दिल्ली HC ने खारिज की याचिका

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ चल रहे मामले की कार्यवाही संबंधी अर्जी कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दी।

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में मुख्य सचिव रहे अलपन बंदोपाध्याय इस समय मुश्किलों का सामाना कर रहे है। दरअसल, पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ चल रहे मामले की कार्यवाही संबंधी अर्जी कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज कर दी। 
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की एक पीठ ने कहा कि अर्जी स्थानांतरित करने के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई उचित कारण उन्हें नजर नहीं आता। साथ ही, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह उनके खिलाफ कार्यवाही के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है। 
पीएम मोदी की बैठक में नहीं हुए थे शामिल 
बंदोपाध्याय ने 28 मई, 2021 को कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन पर चक्रवाती तूफान ‘यास’ के प्रकोप पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में शामिल नहीं होने के मामले में उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देने के लिए कैट की कोलकाता पीठ का रुख किया था। यह कार्यवाही कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने शुरू की थी।

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बंदोपाध्याय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कार्तिकेय भट्ट ने तर्क दिया था कि अर्जी को स्थानांतरित करने के आदेश को नैसर्गिक न्याय, समानता एवं निष्पक्षता के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन कर जारी किया गया, क्योंकि उन्हें अपनी आपत्तियां लिखित में दर्ज कराने का अधिकार भी नहीं दिया गया था और केन्द्र का अनुरोध सुनवाई के पहले दिन ही स्वीकार कर लिया गया था।  
कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कोलकाता में होती है या दिल्ली में 
भट्ट ने कहा था कि आदेश जारी करते समय अधिकारी की सुविधा पर विचार किया जाना चाहिए और याचिकाकर्ता आमतौर पर एवं स्थायी रूप से कोलकाता में रहता है, साथ ही पूरी घटना कैट की कोलकाता पीठ के अधिकार क्षेत्र में घटी थी। केन्द्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जब तक सुनवाई ऑनलाइन होती है, तब तक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कोलकाता में होती है या दिल्ली में। 
राज्य सरकार ने सेवामुक्त नहीं किया था 
मेहता ने कहा था कि अदालत उनके इस अनुरोध या संयुक्त अनुरोध को रिकॉर्ड कर सकती है कि सुनवाई कैट के समक्ष ऑनलाइन ही की जाएगी। बंदोपाध्याय ने 31 मई, 2021 को सेवानिवृत्त होने का फैसला किया था, जो तीन महीने का विस्तार दिए जाने से पहले सेवानिवृत्ति की उनकी मूल तिथि थी। उन्हें राज्य सरकार ने सेवामुक्त नहीं किया था।
केन्द्र सरकार ने कैट की प्रधान पीठ के समक्ष एक स्थानांतरण याचिका दायर की थी, जिसने पिछले साल 22 अक्टूबर को बंदोपाध्याय की अर्जी को नयी दिल्ली में उसके पास स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने छह जनवरी को कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश रद्द कर दिया था, जिसने कैट का स्थानांतरण आदेश खारिज करते हुए बंदोपाध्याय को इसे अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय के समक्ष पेश करने की छूट दी थी। उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली केन्द्र सरकार की याचिका पर यह फैसला सुनाया था।

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