दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के सांसदों का संसद में प्रवेश रोकने की मांग की गयी है। याचिका में कहा गया है कि राज्य के भंग होने के बावजूद सांसद अवैध तरीके से अपने पद पर हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूर्ववर्ती राज्य से राज्यसभा में चार और लोकसभा में छह सदस्यों सहित कुल 10 सांसद संसद में ‘‘अवैध’’ तरीके से अपने पद पर कायम हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित सारे सांसद सरकारी खजाने पर बोझ बढा रहे हैं क्योंकि उन्हें पद के साथ वेतन और अन्य भत्ते भी मिल रहे हैं। अलगाववादी नेता अब्दुल गनी भट द्वारा दाखिल याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है कि वह सभी 10 सांसदों को संसद में प्रवेश की इजाजत नहीं दें।
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इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि संसद में पूर्ववर्ती राज्य के 10 सांसदों की मौजूदगी ‘‘अनैतिक, अवैध और असंवैधानिक’’ है। इसमें मांग की गयी है कि उन्हें अन्य सांसदों की तरह मिलने वाले वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं पर रोक लगनी चाहिए। पिछले साल संसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू कश्मीर के तौर पर पुनर्गठित किया।