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सिंघु बॉर्डर : किसान आंदोलन के चलते पेट्रोल पंप ठप, कर्मचारियों की तनख्वाह पर असर

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों पर पिछले 52 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना जारी है। लेकिन अब दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर स्थित कई पेट्रोल पंप को इस आंदोलन की मार झेलनी पड़ रही है।

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों पर पिछले 52 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना जारी है। लेकिन अब दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर स्थित कई पेट्रोल पंप को इस आंदोलन की मार झेलनी पड़ रही है। सिंघु बॉर्डर पर बीते साल 26 नवंबर से बॉर्डर के आसपास के पेट्रोल पंप बंद हैं जिसके कारण पंपों को हर दिन लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। साथ ही पंप पर कार्यरत कर्मचारियों की तनख्वाह पर भी इसका असर हो रहा है। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन के चलते मार्ग को बंद कर दिया गया है। गाड़ियों के आवागमन पर पूरी तरह रोक लग चुकी है। लोगों को अपने गंतव्यों तक जाने के लिए दूसरे रास्तों का प्रयोग करना पड़ रहा है। आंदोलन के चलते पुलिस विभाग द्वारा मार्गों को डाइवर्ट कर दिया है। 
मार्गों पर गाड़ियों के न चलने से पेट्रोल पंप खाली पड़े हैं। पेट्रोल पंप के स्टाफ द्वारा जानकारी दी गई कि फिलहाल पंप बिल्कुल बंद है, 26 नवंबर से ही पंप को बंद कर दिया गया। गाड़ियां आ नहीं पा रही। पंप कर्मचारी इस आंदोलन के जल्द खत्म होने की उम्मीद में बैठे हैं। दरअसल पेट्रोल पंप बंद होने के कारण कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ने लगा है। कुछ पेट्रोल पंप पर पिछले महीने की आधी ही सैलरी दी जा सकी है। यदि बातचीत से मामला जल्द नहीं सुलझा तो ऐसी स्थिति में और भी पेट्रोल पंपों को इस तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि सरकार और किसानों के बीच में 9 दौर की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका है। 
सिंघु बॉर्डर स्थित ओम सर्विस स्टेशन पेट्रोल पंप के मैनेजर राजेन्द्र सिंह ने बताया 52 दिनों में अब तक करीब 40 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। भविष्य में जब तक ये रास्ता नहीं खुला तो हमारे सामने चुनोतियां ही चुनोतियां हैं। हमारे इस पंप पर करीब 35 कर्मचारी है, इनकी सैलरी पर भी असर पड़ने लगा है। अभी तो तनख्वाह दे दी है यदि ऐसा ही रहा तो आगे तनख्वाह इन्हें मिलेगी या नहीं मिलेगी कह नहीं सकते। उन्होंने आगे बताया, हमारे पंप पर अभी 70 हजार लीटर डीजल का स्टॉक है और 30 हजार लीटर पेट्रोल का स्टॉक है। बॉर्डर स्थित हर एक पंप पर करीब पेट्रोल 6 हजार लीटर, डीजल 12 हजार लीटर और 9 हजार किलो सीएनजी हर दिन गाड़ियों में डलती थी, जो कि अब शून्य हो चुकी है। 
भारत सर्विस स्टेशन के सुपरवाइजर राम प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, 26 नवंबर से अब तक एक लीटर तेल नहीं बिका है। गाडियों को नहीं आने देंगे तो तेल बिकेगा कहां से? जब तेल नहीं बिकेगा तो मालिक तनख्वाह कहां से देंगे? 44 कर्मचारी फिलहाल पंप पर काम कर रहें हैं। सभी इसी उम्मीद में है कि जल्द कोई रास्ता निकले और पंप फिर से शुरू हो जाए। सिंघु बॉर्डर पर एक साथ 6 पेट्रोल पंप मौजूद हैं, जो कि पूरी तरह से बंद पड़े हैं। इन 52 दिन में सभी पेट्रोल पंप को मिलाकर करोड़ो रुपए का नुकसान हो चुका है। दूसरी ओर पंप पर काम कर रहे कर्मचारियों को भी मन मे डर सताने लगा है कि कहीं उनका मालिक उन्हें नौकरी से न निकाल दें। सभी कर्मचारी बस उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ये रास्ता खुले और जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आए। 
दरअसल नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं का समाधान तलाशने के लिए किसान यूनियनों के नेताओं के साथ शुक्रवार को करीब पांच घंटे मंथन के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। अब 19 जनवरी को फिर अगले दौर की वार्ता होगी। कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बहरहाल इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया। 

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