पायलट की नौकरी बड़ी रिस्की होती है। पायलट प्लेन चलाते समय बहुत सारी समस्याओं से गुजरता है। प्लेन में बैठे सैंकड़ों लोगों का भविष्य पायलट के हाथ में होता है। इसलिए पायल को नशा करने की इजाजत नहीं होती, लेकिन इसके बावजूद भी दिल्ली एयरपोर्ट पर एक पायलट को ड्रग टेस्ट में फैल होने पर प्लेन चलाने की ड्यूटी से हटा दिया गया। हालांकि डीजीसीए की रिपोर्ट में एयरलाइन का नाम नहीं बताया गया है। इस साल जनवरी में पायलटों के रैंडम ड्रग टेस्ट का नियम बना था। इसके बाद से यह चौथा मामला है।
23 अगस्त को आई थी रिपोर्ट
DGCA की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक प्रमुख एयरलाइंस के पायलट का रैंडम ड्रग टेस्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट 23 अगस्त को आई थी, जिसमें पायलट पॉजिटिव पाया गया था। इसकी पुष्टि होते ही पायलट को फ्लाइट ड्यूटी से हटा दिया गया। जांच में पता चला है कि पायलट ने ड्रग्स लिया था, वह गांजा था। 31 जनवरी, 2022 को पायलटों और हवाई यातायात नियंत्रकों के लिए दवा परीक्षण नियम लागू होने के बाद से चार लोगों ने सकारात्मक परीक्षण किया है। इनमें से तीन पायलट और एक एटीसी नियंत्रक थे।
कभी भी लिया जा सकता है सैंपल
नियम के मुताबिक ड्यूटी के दौरान कभी भी पायलट का सैंपल लिया जा सकता है। इसे हवाई अड्डे के केंद्र में किसी भी समय उड़ान से पहले या उड़ान के बाद की ड्यूटी पर ले जाया जा सकता है। दोषी पाए गए पायलट का सैंपल दिल्ली एयरपोर्ट के सेंटर पर लिया गया था। इस जांच में पहली बार दोषी पाए गए पायलटों को विशेषज्ञ डॉक्टर, काउंसलर या डिडक्शन सेंटर भेजा जाता है। कुछ समय बाद इसकी दोबारा जांच की जाती है। अगली बार जब वह परीक्षण में नकारात्मक आता है, तो उसे फिर से ड्यूटी में शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। दूसरी बार ड्रग टेस्ट में फेल होने वाले पायलट का भी तीन साल के लिए लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। वहीं इस टेस्ट में तीसरी बार फेल होने वाले पायलट हमेशा के लिए अपना लाइसेंस दे देते हैं।