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डीयू के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में प्लास्टिक प्रदूषण जागरूक अभियान चलाया गया

डीयू के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में वातावण को सवच्छ रखने की दिशा प्लास्टिक प्रदूषण जागरूक अभियान चलाया गया।इसके साथ व्रक्षारोपण भी किया गया। संस्थान की कोशिश है कि वो वातावरण को स्वच्छ रखने में योगदान दे सकें। इसी दिशा में अभियान चलाया गया जिसमें उन्होंने सिर्फ प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी बल्कि खुद प्लास्टिक उठा एक मैसेज दिया कि लोगों इसको लेकर सजग रहना चाहिए

डीयू के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में वातावण को सवच्छ रखने की दिशा प्लास्टिक प्रदूषण जागरूक अभियान चलाया गया।इसके साथ व्रक्षारोपण  भी किया गया। संस्थान की कोशिश है कि वो वातावरण  को स्वच्छ रखने में योगदान दे सकें।  इसी दिशा में अभियान चलाया गया  जिसमें उन्होंने सिर्फ प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी बल्कि खुद प्लास्टिक उठा एक मैसेज दिया कि लोगों इसको लेकर सजग रहना चाहिए क्योंकि इससे बहुत तरह का शारीरिक नुकसान होता है। इसलिए इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित करने में सरकार को मदद करनी चाहिए।
प्लास्टिक  जलाने से कितना नुकसान
 वातावरण से हमारी सांस का सीधा जुड़ाव है इसलिए जब बात सांस से जुडी हुई बिमारियों कि आती है तो प्रदुषण की बात  जरुर होती है। इसी दिशा में  इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉक्टर राजकुमार ने  कई बड़े बड़े शोध किये हैं। इस अभियान को लेकर
 डॉक्टर राजकुमार ने बताया कि अक्सर लोग कूड़े को जलाते हैं जिसमें कागज़ के साथ प्लास्टिक भी होता है। जिसके जलने से ज़हरीली गैसें जैसे डाइऑक्साइन्स, फुरान, मरकरी और पॉलीक्लोराइनेटेडबाइफिनाइल्स (जिसे बीसीपी के रूप में जाना जाता है) वातावरण में छोड़ती हैं जो वनस्पति,मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा करती हैं।
प्लास्टिक कचरे को जलाने से हृदय रोग होता है
उन्होंने बताया Dioxins फसलों और हमारे जलमार्गों में जमा हो जाते हैं जहां वे अंततः
हमारे भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये Dioxins संभावित रूप से घातक होता है और लगातार कार्बनिक प्रदूषक हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं और थायरॉयड और श्वसन तंत्र को बाधित कर सकते हैं।
 ब्लैक कार्बन से होते है ये नुकसान
 प्लास्टिक जलाने से ब्लैक कार्बन (कालिख) भी निकलता है, जो जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण में योगदान देता है। एक अध्ययन में कहा गया है। प्लास्टिक कचरे को जलाने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा और वातस्फीति जैसी श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं और चकत्ते, मतली या सिरदर्द हो जाते हैं और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचता है। इस संस्थान के बारे में बात करें तो वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट छाती रोगों के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षण और रोगियों की देखभाल के लिए समर्पित एक अद्वितीय स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान है।

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