नई दिल्ली : 16 फरवरी, 2016 को जेएनयू में कथित देशविरोधी नारेबाजी के मामले में पुलिस ने 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें जेएनयू के तीन छात्र नेताओं सहित सात कश्मीरी युवकों के नाम हैं। चार्जशीट में इन दस लोगों के खिलाफ आरोप होने के सबूत बताए गए हैं, जबकि कुछ अन्य लोगों के नाम हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत न होने के कारण चार्जशीट में उनको संदिग्ध तो बताया गया है, लेकिन आरोपी की श्रेणी में नहीं डाला गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि चार्जशीट में कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अर्निबान भट्टाचार्य को आरोपी बताया गया है, जबकि कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रैया रसूल, बासिर भट और बसरात को भी आरोपी की श्रेणी में रखा गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि चार्जशीट में उस कथित वीडियो के असली होने की बात कही गई थी, जिसमें कुछ छात्र देशविरोधी नारेबाजी करते हुए दिख रहे हैं। जांच में सामने आया है कि नारेबाजी की घटना से जुड़े सभी वीडियो वास्तविक हैं तो वहीं उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। जबकि जेएनयू कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में कश्मीरी छात्रों की उपस्थिति की पुष्टि वीडियो फुटेज से की जा सकती है।
मास्क लगाकर छुपाई पहचान
जांच में सामने आया है कि पुलिस के पास मौजूद कई वीडियो फुटेज में कुछ छात्र संदिग्ध रूप से दिखाई दिए हैं, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था। हालांकि कार्यक्रम से वापस लौटते समय उन्होंने अपना मास्क हटा दिया था, जिसके कारण पुलिस ने उनकी पहचान सुनिश्चित कर ली और उनकी संलिप्तता सामने आ गई। पुलिस ने दावा किया है कि चार्जशीट में जिन-जिन छात्र, युवकों के नाम हैं, पुलिस के पास उनके खिलफ पुख्ता इलेक्ट्रॉनिक सबूत हैं, तो वहीं छात्रों व सिक्योरिटी गार्ड के बयान से भी इस बात की पुष्टि की गई है।
कार्यक्रम के लिए नहीं ली गई कोई अनुमति
चार्जशीट में जांच के हवाले से दावा किया गया कि जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम के लिए प्रशासन की तरफ से छात्रों को कोई अनुमति नहीं दी गई थी, तो वहीं जब प्रशासन ने इस बाबत छात्रों को जानकारी दी, तो छात्रों ने बहस करके लड़ाई शुरू कर दी। कार्यक्रम के मौजूद सभी छात्र गैर-कानूनी रूप से एकत्रित की गई भीड़ के हिस्सा थे। बताया जा रहा है कि आरोपी छात्रों के खिलाफ आधा दर्जन से अधिक धाराएं लगाई गई हैं, जिसमें देशद्रोह, मारपीट सहित अन्य धाराएं जुड़ी हुई हैं।
मामला इस प्रकार है…
9 फरवरी 2016 को जेएनयू में आतंकी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के खिलाफ एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। और छात्र गुटों में मारपीट हुई। इस कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए। भारत विरोधी नारों की वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली वसंत कुंज थाने में धारा 124ए के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हुआ। 12 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया। जबकि उमर खालिद अंडरग्राउंड हो गया।
इन दोनों के अलावा बनज्योत्सना लाहिड़ी, अनिर्बान भट्टाचार्य, रुबीना सैफी, रामा नागा, आनंद और रेयाज उल हक का नाम भी वीडियो के आधार पर एफआईआर में शामिल कर उन्हें आराेपी बनाया गया। 16 फरवरी को वकीलों के एक गुट ने कन्हैया कुमार पर जानलेवा हमला किया। 24 फरवरी को अनिर्बान और उमर ने जेएनयू कैंपस में पुलिस के सामने समर्पण किया।
3 मार्च को कन्हैया कुमार को 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत मिली। 17 मार्च को उमर और अनिर्बान को 6 महीने की अंतरिम जमानत मिली। जून 2016 में एक टीवी चैनल से मिली वीडियो की जांच में सामने आया कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई। पुलिस ने 4 वीडियाे को असली बताया। जुलाई 2016 में 5 कश्मीरी युवाओं को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया।
सितंबर 2016 में पुलिस ने 3 कश्मीरी युवाओं से पूछताछ की, जिसमें दो जेएनयू छात्र हैं। अप्रैल 2017 में पुलिस ने जेएनयू के 31 छात्रों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया। 14 जनवरी 2019 को स्पेशल सेल ने 1200 पेज की चार्जशीट दायर की।
कन्हैया मामले को लेकर आप का केन्द्र पर तंज
जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में सोमवार को आरोपपत्र दाखिल होने के बाद आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि इतने चर्चित कांड की चार्जशीट दाखिल करने में मोदी पुलिस को तीन साल लग गये। चुनाव से पहले अपने आकाओं को खुश करने के लिए मोदी विरोधियों को फसाने में एक्सपर्ट पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी। अब सभाओं में ताली पीटकर सबको देशद्रोही घोषित करेंगे मोदी जी।
हम कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित कर देंगे : उमर खालिद
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद की कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इसपर उमर खालिद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि चुनाव आने से सिर्फ तीन माह पहले हमारे खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना सरकार की मंशा बयां करती है।
पिछले पांच सालों में इस सरकार ने हमारे खिलाफ जितना झूठा बोलना था बोल लिया, अब इससे चुनाव में इन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि अच्छा है कि यह मामला अब कोर्ट में है हम वहां खुद को बेगुनाह साबित कर देंगे। वहीं अनिर्बान ने बताया कि दरअसल यह सरकार झूठी राष्ट्रवाद के नाम पर काम कर रही है।
आज राहुल व केजरीवाल क्यों शांत हैं : एबीवीपी
यह निर्णय एबीवीपी की जीत है। यह तमाचा है कांग्रेस एवं उन सभी राजनीतिक लोगों पर जो उनका समर्थन कर रहे थे। आज राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल शांत क्यों बैठे हैं? उनको देश से माफी मांगनी चाहिए। जिनके नाम चार्जशीट में हैं उनसे ज्यादा तकलीफ उन अर्बन नक्सलियों को है जिन्होंने इनका समर्थन किया है। ये कहना है जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव सौरव शर्मा का। ये राष्ट्र भक्तों की जीत है जो देश के कोने-कोने में हैं।