दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को हाई कोर्ट में कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के छात्र के बयान की सूचना उनके अधिकारियों ने मीडिया में लीक नहीं की। छात्र को फरवरी में नागरिकता संशोधित कानून के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान उतर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस उपायुक्त ने हलफनामा दायर कर न्यायमूर्ति विभु बाखरू को सूचित किया कि दिल्ली पुलिस भी अखबार की खबर से व्यथित है जिसमें जेएमआई विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तान्हा का कथित स्वीकारोक्ति बयान लीक हुआ था। वकील अमित महाजन एवं रजत नैयर के दायर पुलिस हलफनामे में कहा गया कि जांच में शामिल किसी भी अधिकारी ने मीडिया को सूचना लीक नहीं की।
हलफनामे पर गौर करने के बाद हाई कोर्ट ने न्यूज चैनल के वकील से कहा कि बयान के स्रोत का खुलासा करें। न्यायाधीश ने कहा, आपने राष्ट्रीय चैनल पर खुलासे वाले बयान दिखाए हैं। पुलिस ने कहा कि उसने इसे जारी नहीं किया तो आपने इसे कहां से प्राप्त किया। न्यूज चैनल की तरफ से पेश वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि वह इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करेंगे।
कोर्ट ने मीडिया से कहा कि हलफनामा दायर कर बयान के स्रोत का स्पष्ट रूप से खुलासा करें और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अक्टूबर तय की। फेसबुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले में इसकी कोई भूमिका नहीं है। हाई कोर्ट तान्हा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उनके खुलासे वाले बयान को मीडिया में लीक कर अच्छा आचरण नहीं किया है। जांच के दौरान एजेंसी ने उनके बयान दर्ज किए थे।