दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की 2 छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता की जमानत अर्जी का विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये दोनों छात्राएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं, जिससे देश की एकता, अखंडता और समरसता को खतरा हो सकता था। बता दें कि नताशा और देवांगना को पिछले साल उत्तरी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने यह दलील नताशा और देवांगना की ओर से जमानत को लेकर दायर याचिकाओं के जवाब में दी।
इन याचिकाओं में एक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें जेएनयू छात्राओं की ओर से दायर जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया था। नताशा और देवांगना दोनों पर ही दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एफआईआर दर्ज है। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित महाजन ने याचिकाओं का विरोध किया और दावा करते हुए कहा कि नताशा और देवांगना को दंगों के दौरान किए जा रहे क्रियाकलाप और उसके परिणामों की पूरी जानकारी थी।
उन्होंने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध मामला ना केवल चश्मदीदों के बयान पर आधारित है और इन साजिशों को कैमरे में रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता और यह परिस्थिति अन्य साक्ष्यों से साबित होती है। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता उस बड़ी साजिश का हिस्सा थे जिससे देश की एकता अखंडता और समरसता को खतरा पैदा हो सकता था। यह जरूरी नहीं है कि वह हर कृत्य में शामिल रही हों। उन्हें पूरे क्रियाकलाप की जानकारी थी, इसलिए उन पर यूएपीए की धारा 15 के तहत मामला बनता है। इसके साथ ही महाजन ने आरोपियों और अन्य के बीच हुई वॉट्सऐप चैट भी कोर्ट में पढ़कर सुनाई।