दक्षिणी दिल्ली : जेएनयू में छात्रों के दो गुटों के बीच हुए बवाल ने जेएनयू का इतिहास ही बदल दिया। पहली बार हंगामे के बीच दिल्ली पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को एफआईआर कर किया है। इस एफआईआर में किसी को भी नामजद नहीं किया गया है।
हालांकि केस दर्ज करने के साथ ही केस की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच की टीम को सौंप दी गई है। इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच के जांच में सहयोग करने और सच्चाई का पता लगाने के लिए पश्चिमी रेंज की संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह की निगरानी में भी पुलिस टीम का गठन किया गया है।
सोमवार को वसंतकुंज नॉर्थ थाने में पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें आईपीसी की पांच धाराओं के अलावा सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाने संबंधित धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। केस को आईपीसी की धारा 145/147/148/149 व 151 व सरकारी प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने में तीन मामले दर्ज किए गए हैं।
जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को लिखा पत्र…
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हॉस्टल में मारपीट और तोड़फोड़ की घटना के दौरान जेएनयू प्रशासन की तरफ से पुलिस को पत्र लिखकर परिसर में हो रही हिंसा और कानून व्यवस्था को काबू करने के लिए आग्रह किया। जिसके बाद पुलिस ने परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की गई।
इस दौरान पुलिस बार-बार छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील करती रही है और शाम के समय जेएनयू कैम्पस में फ्लैग मार्च किया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जेएनयू में फीस की बढ़ोतरी व अन्य मांगों को लेकर यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों का एक गुट पिछले कुछ दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा था।
इसी कड़ी में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने एक आदेश में जेएनयू कैम्पस के प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन या छात्रों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पुलिस की मानें रविवार शाम करीब पौने चार बजे के आसपास पुलिस को सूचना मिली थी कि जेएनयू के पेरियार हॉस्टल परिसर में कुछ छात्र एकत्रित होकर मारपीट और तोड़-फोड़ कर रहे हैं।
तत्काल पुलिस की टीम उक्त हॉस्टल के पास पहुंची जहां पुलिस ने देखा कि 40-50 की संख्या में कुछ अंजान और नकाबपोश लोग हाथों में रॉड और डंडे लेकर मारपीट और तोड़-फोड़ कर रहे थे। जो पुलिस को देखते ही मौके से भाग गए।