नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के ऊपर विरोधी पार्टी शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के प्रधान परमजीत सिंह सरना ने एक बड़ा आरोप लगाया है। सरना का कहना है कि दिल्ली कमेटी ने पूर्वी दिल्ली स्थित हरगोबिंद एन्क्लेव में चल रहे गुरु हरगोबिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को एक निजी गैर सिख संस्था को तीन वर्षों की लीज पर दे दिया है।
आरोप यह भी है कि यहां के कर्मचारियों को गत कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। साथ ही यहां कोर्स कर रहे करीब 70 छात्रों को पंजाबी बाग स्थित इंस्टीट्यूट जाने की बात कही गई है। सरना का कहना है कि उक्त इंस्टीट्यूट में एम कॉम, बी कॉम, बीसीए, बीबीए जैसे मैनेजमेंट कोर्स कराये जाते थे। बी कॉम में दाखिले के लिए दिल्ली के बच्चे अन्य विश्वविद्यालयों में धक्के खाते हैं, लेकिन कमेटी ने इस इंस्टीट्यूट को बंद कर दिया है।
सरना ने दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग धीरे-धीरे कमेटी के अधिन चल रहे सभी इंस्टीट्यूट्स को बंद करवा देंगे। चूंकि डेढ़ एकड़ की यह जमीन सिख विरासत की है, इसलिए वह इसे निजी हाथों में नहीं जाने देंगे फिर चाहे इसके लिए उन्हें कानूनी व राजनीतिक कदम क्यों न उठाने पड़े।
क्यों हुआ विवाद… सरना बंधुओं का कहना है कि गुरुद्वारा कमेटी की कोई भी प्रॉपर्टी किसी निजी हाथों में नहीं सौंपी जा सकती। उनका आरोप है कि सिरसा ने इस लीज के लिए न तो डीडीए से सहमति ली है और न ही दिल्ली कमेटी की कार्यकारिणी में इसकी चर्चा की है।
उनका आरोप है कि सिरसा ने भी पूर्व प्रधान जीके की राह पर चलना शुरू कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में अकाल तख्त के जत्थेदार को भी शिकायत देते हुए मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है। सरना ने कहा कि बालाजी अस्पताल मामले में सिरसा व उसके लोग मुझ पर कई आरोप लगा चुके हैं जबकि अस्पताल मामले में एक समझौते के तहत कार्य किया गया था। यह मामला पूरी तरह से गोपनीय है। अब कुलदीप सिंह भोगल व अन्य लोग चुप क्यों हैं?