नई दिल्ली : नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता पानी की गुणवत्ता जैसे मुद्दे का राजनीतिकरण कर जनता के स्वास्थ्य के प्रति अपनी असंवेदनशीलता दिखा रहे हैं। वे चाहते हैं कि जनता दूषित पानी पीती रहे और सरकार से कोई सवाल भी न करे! दिल्ली जलबोर्ड द्वारा नलों से सप्लाई किया जाने वाला पेयजल ही दूषित नहीं, बल्कि अनधिकृत कॉलोनियों व दूर दराज के इलाकों में भी लाखों दिल्लीवासी अवैध टैंकरों द्वारा सप्लाई किये जाने वाला गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली जलबोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने खुद ये माना है कि संगम विहार जैसे क्षेत्रों में मांग और आपूर्ति में अंतर के चलते जल माफिया सक्रिय है और वे अवैध कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में दूषित पेयजल की सप्लाई होना स्वाभाविक है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) जैसी प्रतिष्ठित संस्था को हल्के में लेकर बड़ी गलती कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त यह संस्था सारे राष्ट्र के लिये वैज्ञानिक आधार पर मानक तय करती है। अतः इस संस्था की सत्यता अथवा मंशा पर सवाल उठाना बेतुकी बात है।
सारी दिल्ली में पानी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा ही सप्लाई किया जाता है। अतः इसकी जिम्मेदारी किसी अन्य संस्थान जैसे सीपीडब्ल्यूडी, नई दिल्ली नगर पालिका इत्यादि पर मढ़ना न्यायोचित नहीं है। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार संयुक्त टीम गठित करने से पीछे हट रही है।
सरकार ने अभी तक 32 टीमें गठित नहीं की हैं। यह भी नही पता चल रहा है कि इसके गठन में किस-किस को सम्मिलित किया गया है। केन्द्र ने बीआईएस की 32 टीमों के अधिकारियों के नाम को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक अपनी तरफ से शामिल होने वाले अधिकारियों के नाम नहीं दिए हैं।