देहरादून : देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे का नाम भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में इस हवाई अड्डे का नामकरण आद्यगुरु शंकराचार्य के नाम पर करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था, मगर इसे तवज्जो नहीं दी गई।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया में सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला भाजपा के हित में हो सकता है, लेकिन क्या राज्यहित में है। उधर, भाजपा ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि विपक्ष गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी कर रहा है। कांग्रेस के कार्यकाल में ऐसा कोई प्रस्ताव लाया ही नहीं गया था।
यह किसी से छिपा नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तराखंड से विशेष लगाव रहा है। उनके ही कार्यकाल में उत्तराखंड अस्तित्व में आया और फिर राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देते हुए औद्योगिक पैकेज भी मिला। इस सबके मद्देनजर प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. वाजपेयी के नाम पर विभिन्न स्थलों के नामकरण के साथ ही योजनाएं संचालित करने की तैयारी की है।
इस कड़ी में सरकार ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे का नाम स्व. वाजपेयी के नाम पर रखने का फैसला लिया। अब इस फैसले पर कांग्रेस ने आपत्ति जता दी है। जाहिर है कि इसके बाद इसे लेकर सियासत भी तेज हो गई है, जिसके आने वाले दिनों में और गर्माने के आसार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम आद्यगुरु शंकराचार्य के नाम पर करने का हमने फैसला किया था और केंद्र को प्रस्ताव भी भेजा।
अब मौजूदा सरकार ने फैसला कर दिया है कि इसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर होगा। उन्होंने कहा कि हम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान करते हैं, मगर जगदगुरु शंकराचार्य अपने स्थान पर हैं। हम देवभूमि और धार्मिक पर्यटन की बात करते हैं। जरा विचार करिए कि राज्य सरकार का यह फैसला भाजपा के हित में हो सकता है, मगर क्या ये राज्य के हित में है।
– सुनील तलवाड़