राजधानी दिल्ली में इस बार प्रदूषण की पाबंदियां पहले से सख्त होंगी। बता दें प्रदूषण की गंभीर स्थिति में पहुंचने पर अब केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से सटे एनसीआर के चार जिलों को भी वाहनों पर लगने वाली अलग-अलग पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा। एक अक्तूबर से पुराने मानकों वाले डीजल जेनरेटर पर पूरी तरह से पाबंदी होगी।
सरकार ने कई हॉटस्पॉट चिह्नित किए
आपको बता दें सरकार ने 13 हॉटस्पॉट चिह्नित किए- दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के लिहाज से 13 हॉटस्पॉट चिह्नित किए हैं। वहां के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। वहां निगरानी के लिए खासतौर से 13 विशेष टीम लगाई हैं।पराली के लिए बायो डी कंपोजर का छिड़काव- पराली जलने से रोकने के लिए सरकार बायो डीकंपोजर का प्रयोग बीते तीन साल से कर रही है। बीते साल 4400 एकड़ जमीन में पराली गलाने के लिए इसका प्रयोग हुआ था।धूल रोकने के लिए 591 टीम निगरानी करेंगी- धूल प्रदूषण की निगरानी व उसे रोकने के लिए 591 टीमें बनाई हैं। 500 वर्ग मीटर से ज्यादा बड़े निर्माण स्थल का पंजीकरण कराना होगा। 5000 वर्ग मीटर से ज्यादा पर स्मॉग गन लगाना अनिवार्य। पीयूसी प्रमाणपत्र की जांच- दिल्ली में वाहन प्रदूषण बड़ी समस्या है। इसलिए वाहनों के पीयूसी प्रमाण पत्र जांच व 10 साल पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों की जांच करने व पकड़ने के लिए 385 टीमों का गठन किया गया है। खुले में कूड़ा जलाने पर रोक- केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इसी साल जुलाई में ग्रैप यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को संधोधित करके इसके दायरे में विस्तार किया था। इसमें प्रदूषण के तमाम स्रोतों की रोकथाम के लिए तमाम एजेंसियों के लिए निर्देश शामिल हैं।
नए मानकों वाले बड़ी क्षमता के जेनरेटर को भी छूट दी गई
दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की बड़ी वजहों में डीजल जेनरेटर को भी शामिल किया जाता है। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक अक्तूबर से केवल डीजल ईंधन पर चलने वाले पुराने मानकों वाले जेनरेटर पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। जबकि, स्वच्छ ईंधन और डुअल मोड पर चलने वाले जेनरेटर सेटों को अलग-अलग श्रेणियों में शर्तों के साथ छूट दी गई है। नए मानकों वाले बड़ी क्षमता के जेनरेटर को भी छूट दी गई है।