नई दिल्ली : दिल्ली में पूर्वांचलियों का वोट कहां खिसका, यह सबसे बड़ा सस्पेंस बन गया है। दो लोकसभा सीटों पर पूर्वांचली वोटर निर्णायक हैं। इसके एक साथ खिसक जाने से किसी भी प्रत्याशी का मतदान प्रभावित हो सकता है। पूर्वांचलियों का सबसे अधिक प्रभाव पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में देखा जा रहा है। जहां भाजपा के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा तो कांग्रेस से महाबल मिश्रा हैं। आप पार्टी से बलवीर जाखड़ हैं। इस सीट पर जाटों के अलावा पूर्वांचलियों का भी खासा दबदबा है। अब देखना होगा कि महाबल मिश्रा खुद पूर्वांचली हैं, लेकिन वह पूर्वांचलियों का कितना सपोर्ट हासिल कर सके, यह तो 23 मई को ही पता चलेगा, लेकिन जिस तरह का माहौल है उससे साफ है कि इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है।
जाटों का वोट प्रवेश वर्मा के साथ-साथ जाखड़ के हिस्से में भी गया होगा। ऐसे में पूर्वांचलियों का वोट महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके इलावा दक्षिणी दिल्ली सीट पर भी पूर्वांचलियों को निर्णायक माना जा रहा है। इस सीट पर बताया जा रहा है कि भाजपा के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी से क्षेत्र की जनता नाराज है, इस नारजगी के पीछे भाजपा के पूर्वांचली कार्यकर्ता ही हैं। इसके बाद इस सीट पर बिधूड़ी के खिलाफ एंटी इनकन्वेंसी देखी गई।
दूसरी तरफ कांग्रेस के बॉक्सर विजेन्द्र सिंह के मैदान में आने से पूर्व सांसद सज्जन कुमार का परिवार उनके सपोर्ट में खड़ा हो गया। यानी की जाटों के बंटने की खबर आई, लेकिन इन सबके बीच मोदी का चेहरा कितना लाल होता है तो चुनाव परिणाम ही बताएगा। दिल्ली में 40 लाख के करीब पूर्वांचली हैं। जिनका एक-मुश्त वोट किसी भी पार्टी के वारे-न्यारे कर सकता है। लेकिन दिल्ली में पूर्वांचली पूरी तरह से बंटा हुआ है। पूर्वांचलियों की गिनती जहां मोदी भक्तों में भी होती है वहीं कांग्रेसी खेमे के भी कहे जाते हैं। दिल्ली में आप पार्टी के समर्थकों में भी पूर्वांचलियों की संख्या अच्छी-खासी है।
– सुरेन्द्र पंडित