नई दिल्ली : काफी समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा दिल्ली राज्य कैंसर चिकित्सा संस्थान (डीएससीआई) अब अपनी नियुक्त प्रक्रिया में ही बदलाव करने जा रहा है। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो एम्स की नियुक्ति प्रक्रिया व उसके नियमों को लागू करने की योजना चल रही है।
इसको लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रशासन ने पहल भी कर दी है। बता दें कि, डीएससीआई में अनुबंध पर डॉक्टरों की नियुक्ती व उन्हें पदोन्नति समय पर नहीं देने की वजह से कोई डॉक्टर संस्थान में काम करना नहीं चाहता है। बता दें कि, डीएससीआई में मौजूदा समय में पांच साल के अनुबंध पर कंसल्टेंट डॉक्टर नियुक्त किए जाते हैं। आरोप है कि पांच साल काम करने के बाद डॉक्टर को फिर से कांन्ट्रैक्ट करना होता है।
गौर करने वाली बात ये है कि इस दौरान अनुबंध में ये तय नहीं होता कि कंसल्टेंट की सैलरी कितनी बढ़ाई जाएगी। इसी कारण ज्यादातर डॉक्टर यहां पर काम करना पसंद नहीं कर रहे हैं। क्योंकि कैंसर के डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में काफी अच्छे पैकेज दिए जाते हैं।
केवल 9 वरिष्ठ डॉक्टर के सहारे डीएससीआई
केवल 9 वरिष्ठ डॉक्टर मौजूदा समय में डीएससीआई का संचालन कर रहे हैं। इसमें भी न्यूक्लियर मेडिसिन में सिर्फ एक महिला डॉक्टर हैं, जो इन दिनों मातृत्व अवकाश पर हैं। ऐसे में पेट-सिटी स्कैन जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। यही नहीं हिमैटोलॉजी के डॉक्टर नहीं है। जिसकी वजह से ब्लड कैंसर से पीड़ित मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा अन्य कई विभागों में डॉक्टर नहीं है।
वर्ष 2017 में निकाली गई थी भर्ती
डीएससीआई में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए वर्ष 2017 में 104 कंसल्टेंट के लिए भर्ती निकाली गई थी। लेकिन ये भर्ती किन्हीं कारणों की वजह से नहीं हो सकी। अस्पताल के निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग से लगातार बातचीत की जा रही है कि एम्स की नियुक्ती प्रक्रिया को डीएससीआई में भी लागू की जाए। जिससे डॉक्टरों को नौकरी असुरक्षित होने का डर न रहे।