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राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति को भी कराना होगा वाहनों का रजिस्ट्रेशन : हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने गाड़ी रजिस्ट्रेशन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले से देश में अब वीआईपी कल्चर खत्म होने जा रहा है।

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने गाड़ी रजिस्ट्रेशन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले से देश में अब वीआईपी कल्चर खत्म होने जा रहा है। चीफ जस्टिस की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि अब देश के संवैधानिक पदों पर बैठे हुए सभी राजनितिक व्यक्तियों को अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इस नए आदेश के बाद संवैधानिक पदों पर बैठे सभी व्यक्तियों को जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल भी शामिल हैं उन्हें अब अपनी कार के पीछे और आगे रजिस्ट्रेशन नंबर लागाना होगा।
अभी तक कारों पर होता था अशोक चिह्न
गौरतलब है कि मौजूदा समय में जो नियम है उसके मुताबिक इन सभी पदों पर तैनात शख्सियतों को वाहनों पर किसी तरह का रजिस्ट्रेशन नंबर लगाना अनिवार्य नहीं है। अब से पहले तक इन पदों पर बैठे हुए राजनीतिज्ञ अपने वाहनों पर सिर्फ राष्ट्रीय अशोक चिह्न को लगाते रहे हैं। लेकिन अब इन सभी को हाईकोर्ट के आदेश के बाद नंबर लगाना अनिवार्य हो गया है। सभी को अपनी गाड़ियों का पंजीकरण कराना होगा।
हलफनामे पर दिया यह फैसला
एक हलफनामे पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। दो साल पहले  रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री ने चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष अपने हलफनामें में सभी की गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पत्र लिखा था। इसी हलफनामें पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी संवैधानिक पदों की गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन कराने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सभी संवैधानिक पदों के नेता अपनी गाड़ियों का पंजीकरण कराकर नेम प्लेट लगाएं।
सुरक्षा की वजह से दिया फैसला
हाईकोर्ट ने देश के बड़े ओहदों पर बैठे राजनीतिज्ञों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया है। अदालत का मानना है कि बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को आंतकी निशाना बनाते हैं और इस तरह की गाड़ियों पर आतंकियों की निगाहें टिकी रहती हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे मौके कई बार आते हैं कि जब किसी तरह की दुर्घटना में भी गाड़ी का नंबर न होने से पहचान करना मुश्किल होता है। 
बता दें कि मोदी सरकार ने इससे पहले गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया था। इसके बाद से हर किसी की गाड़ी से लाल बत्ती को हटा दिया गया। उस समय सरकार का मानना  था कि इससे वीआईपी कल्चर को बढ़ावा मिलता है। 

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