नई दिल्ली : भारतीय उद्यमियों और आधुनिक इनोवेटरों से बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार को करियर विकल्प के रूप में प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इससे भारतीय युवाओं में रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। यह कहना है भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का। दरअसल मंगलवार को वह दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस स्थित वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट में श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स एवं पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से ‘विमर्श 2019’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
इस सम्मेलन के विषयों पर छात्रों को संबोधित करते हुए प्रणब ने कहा कि एक सफल व्यवसाय और एक उद्यमी न केवल बाजार में एक नया उत्पाद और अवधारणा लाता है, बल्कि सभी बाजार दक्षता में सुधार करता है। मेरा मानना है कि रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था की वृद्धि को एक साथ संचालित करना चाहिए। ऐसा ना होने से लोकतांत्रिक लाभांश हमारे जरूरतमंद बेरोजगार युवाओं को नौकरी प्रदान करने में सक्षम नहीं होगा। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि 2030 तक हमारे देश में विश्व के मुकाबले सबसे ज्यादा युवा आबादी होगी।
इंवोशन एवं उद्यमिता से देश में सामाजिक आर्थिक विकास संभव होगा। गौरतलब है कि विमर्श 2019 के चौथे सम्मेलन में इस बार ‘भारत में व्यापारिक माहौल को नए मार्केट और वैल्यू नेटवर्क से पूरी तरह बदलने’ और ‘क्रांतिकारी और पूरे मार्केट पर कब्जा करने वाले नए-नए आविष्कारों और उद्यमिता’ जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि भारत के पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न से सम्मानित प्रणब मुखर्जी ने छात्रों से संवाद किया। एसजीजीएसीसी के प्राचार्य डॉ जतिंदर बीर सिंह, डीयू के कॉमर्स विभाग की प्रमुख प्रो कविता शर्मा, विमर्श 2019 की संयोजक डॉ. कवल गिल, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डी.के अग्रवाल, डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एवं प्रमोशन के पूर्व सचिव अजय शंकर एवं नीति आयोग के अटल इंवोशन मिशन के निदेशक रामानन रामानाथन मौजूद थे।