नई दिल्ली : पूर्वी दिल्ली को दक्षिणी दिल्ली से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा बारापुला फेज-3 किसान की जमीन में उलझ गया है। करीब आठ एकड़ की जमीन विभाग को नहीं मिल पा रही है जिस कारण प्रोजेक्ट पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा। विभाग की माने तो जमीन मिलने के बाद ही इस प्रोजेक्ट पर कुछ काम हो पाएगा। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रोजेक्ट को शुरू करने के दौरान डीडीए ने बताया था कि यह जमीन उसकी है लेकिन जब प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया तो पता चला कि जमीन डीडीए की जमीन बल्कि किसान की है।
अब किसान जमीन नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए कई स्तर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकला है। विभाग की माने तो राजस्व विभाग जमीन को लेने के लिए प्रयास कर रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में कोई सकरात्मक पहल हो।
करवाई गई थी स्टडी
प्रोजेक्ट के बीच में आ रही किसानों की जमीन का मुआवजा तय करने के लिए भूमि एवं भवन विभाग ने सोशल इम्पैक्ट स्टडी कर रिपोर्ट को मुख्य सचिव को मार्च में ही सौंप दिया था। प्रक्रिया के तहत दिल्ली सरकार ने स्टडी रिपोर्ट के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की थी। कमेटी ने गत 5 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जिसमें सोशल इम्पैक्ट स्टडी रिपोर्ट को मान लिया गया है।
2017 में होना था तैयार
इस प्रोजेक्ट के लिए 23 सितंबर 2014 को शिलान्यास कर दिया गया था। इस प्रोजेक्ट के लिए तीन साल का समय रखा गया है लेकिन आठ एकड़ की जमीन के कारण प्रोजेक्ट अधर में रुका हुआ है। इस चरण के तहत मयूर विहार फेज एक से सराय काले खां तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाना है।