नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव-2019 में हुई हार से कांग्रेस सीख लेना चाहती है। तभी तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी हो या फिर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी दोनों ही इस हार के तमाम कारणों को जानना चाहती है ताकी विधानसभा चुनाव में उनको सुधारा जा सके। इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हार की वजह जानने के लिए हर बूथ तक जाना चाहते हैं और यही वजह है कि उन्होंने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से बातचीत कर हार की कारणों का पता लगाने के लिए राज्य प्रभारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें दिल्ली भी शामिल हैं।
राहुल ने सभी राज्यों के प्रभारियों से हार के कारणों की जानकारी के लिए रिपोर्ट तैयार करके सौंपने को कहा है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद ही पार्टी की कार्यशैली और संगठन स्तर पर बदलाव किए जाएंगे। दूसरी तरफ दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने भी हार की समीक्षा के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन एक हफ्ते पहले ही कर दिया था। लेकिन इस कमेटी को लेकर भी पार्टी के भीतर विवाद हो गया।
पहले तो प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने ही इस कमेटी पर सवाल खड़े कर दिए थे। कमेटी सभी सातों प्रत्याशियों के साथ बैठक तय की, लेकिन इसमें सिर्फ दो प्रत्याशी विजेन्द्र सिंह व राजेश लिलोठिया ही पहुंचे। सूत्रों का कहना था कि इसमें सिर्फ पवन खेड़ा ही वरिष्ठ थे। दूसरी तरफ कमेटी ने सभी जिलाध्यक्षों को भी बुलाया लेकिन 14 में 11 ही जिलाध्यक्षों ने अभी तक अपनी बात कही है।
विस प्रभारी नियुक्त कर सकती है कांग्रेस
जिस तरह लोकसभा चुनावों के दौरान देखने को मिला कि नामांकन के अंतिम दिन ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हुई, इससे कांग्रेस को खासा नुकसान उठाना पड़ा। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस गलती को नहीं दोहराना चाहती है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस पहले से ही प्रत्याशी के रूप में विधानसभा प्रभारी नियुक्त सकती है। अगर उस विधानसभा प्रभारी का काम अच्छा होगा तो उन्हें ही टिकट दे दिया जाएगा, नहीं होगा तो उनका टिकट बदल दिया जाएगा।
पार्टी को विश्वास है कि इससे विधानसभा तैयारी में कांग्रेस के प्रत्याशी को काफी समय मिल जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस इस बार सख्ती से विधानसभा के प्रत्याशियों के लिए नियम लागू करने वाली है। जो प्रत्याशी दो बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं, पार्टी उन्हें टिकट नहीं देगी।