प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा के सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को आज उनके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सदन में हंगामे के कारण वे तीन तलाक पर रोक विधेयक जैसे ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण फैसलों पर निर्णय की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से वंचित रह गए। उच्च सदन ने अपने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को आज विदाई दी।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कुछ साथी इस अनुभव को लेकर समाज सेवा में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि अवकाशग्रहण कर रहे महानुभावों में से हर एक का अपना योगदान रहा है और हर किसी ने राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास किया है। राष्ट्र उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता। उन्होंने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को उत्तम सेवा के लिए बधाई और उनके भविष्य के जीवन के लिए शुभकामनाएं दी।
उच्च सदन के महत्व का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि यहां जो बात बतायी जाती है, उसका लोकतंत्र में एक विशेष महत्व है और जो नीति निर्धारण में खास भूमिका निभाता है। उन्होंने अपने संबोधन में उपसभापति पी जे कुरियन, मनोनीत सदस्यों के पराशरन, दिलीप तिर्की तथा सचिन तेंदुलकर का खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि आने वाले दिनों में हमें उनका साथ नहीं मिलेगा। कुरियन का जिक्र करते हुए
पीएम ने कहा कि उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा हमेशा याद किया जाएगा।
पीएम ने कहा कि कुरियन ने संकट की घड़ी में भी सदन को ठीक से चलाया। उन्होंने कहा कि अधिकतर सदस्य राजनीतिक विचारधारा के लोग है। ऐसे में स्वाभाविक है कि उन बातों को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करेंगे। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ग्रीन हाउस में जो होता हो, वह रेड हाउस में भी हो। उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने सोचा होगा कि अपने आखिरी सत्र में वह कुछ विषय उठाएंगे। लेकिन हंगामे के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हम सब की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि उन्हें उत्तम चीजें छोड़कर जाने का अवसर मिलता लेकिन वह सौभाग्य से वंचित रह गए। उन्होंने कहा कि सदस्य तीन तलाक पर रोक जैसे विधेयक पर फैसले की प्रक्रिया से वंचित रह गए। इस बात की उन सदस्यों को कसक रहेगी क्योंकि ये फैसले ऐतिहासिक महत्व के हैं और इन्हें याद किया जाएगा।
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