दिल्ली विधानसभा चुनावो में मिली हार के बाद से ही भाजपा में कुछ बदलावों की प्रक्रिया शुरू हो गई हैं ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन करने की है। इसके मद्देनजर केंद्र ने नेता प्रतिपक्ष चुनने की जिम्मेदारी भाजपा के महासचिव सरोज पाण्डेय को सौंप दी है।
लेकिन सरोज पाण्डेय की राह को आसान नहीं समझा जा सकता,क्योंकि उन्हें बीजेपी के सभी 8 विधायकों से बात करने के साथ-साथ पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेताओं को भी विश्वास दिलाना होगा। केंद्र ने सरोज पाण्डेय को यह आदेश दिया हैं कि नेता प्रतिपक्ष के चयन से पहले पार्टी के सभी नेताओ की राय लेना अनिवार्य हैं।
बता दे की दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 70 में से 8 सीटें मिली। जिनमें से नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में प्रमुख रूप से तीन विधायक शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि, पार्टी विधायक दल की बैठक की तरीक अभी तक तय नहीं हों पाई है।
सूत्रों के मुताबिक खबर मिली हैं कि दिल्ली कि बदरपुर विधानसभा से तीन बार के विधायक रहे रामवीर सिंह बिधूड़ी को अगला नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने कि आशंका है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट, रामवीर सिंह बिधूड़ी, ओमप्रकाश शर्मा, अभय वर्मा, जितेंद्र महाजन, अनिल वाजपेयी, अजय ने जीत हासिल की, लेकिन इस पद का प्रबल दावेदार करावल नगर से पांचवीं बार जीत हासिल करने वाले बिष्ट और बदरपुर से चौथी बार विधानसभा पहुंचे रामवीर सिंह बिधूड़ी को माना जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछली बार भाजपा को मात्र तीन सीटें मिली थीं जिनमें विजेंद्र गुप्ता, ओपी शर्मा और जगदीश प्रधान विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। साथ ही विजेंद्र गुप्ता को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था जो इस बार भी विधानसभा पहुंचने में सफल रहे।
दिल्ली भाजपा के एक नेता के मुताबिक इस बार के चुनाव में वैश्य मतदाताओं का भाजपा के प्रति रुझान देखा गया था। इसलिए इनकी दावेदारी नकारना मुश्किल होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी को अब ऐसा चेहरा चाहिए जो पार्टी को साथ लेकर चले और दिल्ली में पार्टी का चेहरा बन सके। दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष बिष्ट भाजपा चाहिए जो पार्टी को साथ लेकर चले और दिल्ली में पार्टी दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष बिष्ट भाजपा के पुराने नेता हैं। 1998 से 2013 तक वह लगातार करावल नगर से चुनाव जीतते रहे हैं। 2015 में उन्हें हार मिली थी। लेकिन एक बार फिर से वह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसी तरह से बिधूड़ी भी अनुभवी विधायक हैं।
बिधूड़ी ने भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। बिधूड़ी कई पार्टियों में रह चुके हैं। 1993 में वह जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। साथ ही जनता दल के विधायक दल के नेता भी चुने गुए थे। उसके बादउन्होंने वर्ष 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) का दामन थाम लिया। उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी मिल चुका हैं।
वर्ष 2012 में रामवीर सिंह बिधूड़ी भाजपा में शामिल हुए और 2013 में भाजपा की टिकट पर ही विधानसभा पहुंचे। 2015 में चुनाव हारने के बाद इस बार फिर से वह विधायक चुने गए हैं। वह एक बड़े गुर्जर नेता रहे हैं। फिलहाल, पार्टी हाईकमान ने किसी एक नेता के पक्ष में मन नही बनाया है। बतौर पर्यवेक्षक सरोज पाण्डेय अगले चार पांच दिनों तक दिल्ली के सभी नेताओं से बात कर केंद्र को अवगत कराएंगे। इसके साथ ही अंतिम फैसला केंद्रीय नेताओ का ही होगा।