नई दिल्ली : गुरु गोविंद सिंह के चारों पुत्रों (साहिबजादों) की शहादत की गाथा सुनने के बाद हर एक इंसान के शरीर में रौंगटे खेड़े हो जाते हैं। एक मां के नाते कहीं न कहीं यह मन में प्रश्न उठता है कि कितना साहस होगा उस पिता में जो शहादत को अपनी आंखों से देखता है और अपने बाकी बेटों को भी शहादत से दूर नहीं होने देता है। इससे भी बढ़कर क्या जज्बा है इस कौम जो अपने बच्चों की शहादत के वर्षों बाद आज भी नहीं भूले और देश की राजधानी में उस शहादत को पूरे राष्ट्र और विश्व के सामने गर्व के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह कहानी देश के कोने-कोने तक विशेषकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूर है। यह कहना है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का।
दरअसल गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को समर्पित एक राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का आयोजन नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आज के युवा शक्ति को यह जानना चाहिए कि जो मौत को गले लगाने को तैयार होता है, लेकिन सर नहीं झुका। नौजवान जाने वह इतिहास जिसमें पिता से जाकर नौजवान खुद आग्रह करता है कि इंसाफ के राह पर चलने के लिए धर्म के राह पर चलने के लिए अपनी प्राणों की आहुति देने पड़े तो वह उससे भी पीछे न हटे।
कार्यक्रम के दौरान शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा, दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा, पंजाब के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, डॉ. त्रिलोचंद सिंह, वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा, डीएसजीएमसी के प्रधान मनजीत सिंह जीके और मंच को संचालित कर रहे थे डीएसजीएमसी के महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्र की कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी रहीं।
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