नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली में हुए प्रदर्शनों के बीच राजघाट पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने कानून के समर्थन में प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट पर हुआ। जिसमें हिन्दू और बाकी समुदाय से आए लोगों ने हिन्दू शरणार्थी अधिकार मंच की तरफ से प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में करीब 700 से 800 लोग हाथों में तिरंगा लिए मोदी सरकार के समर्थन में छपे बैनर के साथ नजर आए। नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में हुए इस धरने में ज्यादातर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिन्दू थे। इनके अलावा इस प्रदर्शन में अफगानिस्तान से पलायन कर आए सिख समुदाय के लोग भी शामिल हुए। प्रदर्शन में आए ज्यादातार पाकिस्तान से आने वाले हिन्दू शरणार्थी उत्तरी दिल्ली के मजनू का टीला, आदर्श नगर और रोहिणी इलाके में रहने वाले हैं। वहीं अफगानिस्तान से आए सिख दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली से आए थे।
समर्थन में आए इन लोगों का कहना था कि ये लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत में प्रताड़ना की वजह से यहां पहुंचे हैं। इन्होंने मजबूर होकर अपने घर को छोड़ा है। इनका कहना था कि इस कानून से इनको भारत की नागरिकता मिलेगी। वहीं इस कानून से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी। प्रदर्शन में आए हनुमान प्रसाद ने कहा कि इस कानून से हमें नागरिकता मिलेगी और उसके बाद वो भी सुविधाएं भी मिलेगी जो अब तक नहीं मिल रही थी। अब हमारे बच्चे अच्छी पढ़ाई कर सकेंगे। वहीं ये बिल किसी की नागरिकता नहीं लेगा सिर्फ हमें नागरिकता देगा। अफगानिस्तान से आये तजिंदर सिंह ने कहा कि वहां परेशानी बढ़ने लगी इसीलिए यहां आए।
वहां लोग कहते थे तुम भारत जाओ या इस्लाम कबूल करो इसलिए आना पड़ा। अफगानिस्तान से सिर्फ सिख ही नहीं बल्कि हिन्दू भी शामिल हुए थे। इन लोगों के मुताबिक 1989 में बड़ी संख्या में हिंदू और सिखों ने अफगानिस्तान से भारत में पलायन किया था। ये सिख भारत के कई हिस्सों में खासकर दिल्ली और पंजाब में आ बसे हैं। इस कानून को लेकर हो रहे विरोध पर उन्होंने कहा कि आज जो कानून है वो हमें नागरिकता देता है किसी की नागरिकता छीनता नहीं है तो फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है। इस प्रदर्शन में पुरुषों के साथ-साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए।