पश्चिमी दिल्ली : राजधानी में स्टील से जुड़े उद्योगों के मामले को लेकर दिल्ली सरकार ने एनजीटी के समक्ष जानकारी दी है। दिल्ली सरकार ने एनजीटी को बताया कि दिल्ली मास्टर प्लान, 2021 के मुताबिक स्टील पिकलिंग यूनिट्स इंडस्ट्रियल एक्टिविटी के प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं। लिहाजा आवासीय इलाकों में इस तरह के उद्योग नहीं चलाए जा सकते। इससे पहले एनजीटी ने दिल्ली के वजीरपुर इलाके में धातुओं की सफाई करने वाली पिकलिंग इकाइयों से फैलने वाले प्रदूषण पर चिंता जाहिर की थी। साथ ही सरकार से यह तय करने को कहा था कि ये पिकलिंग यूनिट्स प्रदूषण नियमों के तहत प्रतिबंधित श्रेणी के उद्योगों में आती हैं या नहीं।
एनजीटी के एक्टिंग चेयरपर्सन जस्टिस यूडी साल्वी की बेंच को सरकार ने बताया कि मास्टर प्लान के मुताबिक पिकलिंग यूनिट्स प्रतिबंधित श्रेणी में आते हैं और साल 2013 के बाद इन्हें चलाने की इजाजत नहीं है। इस मामले में बेंच ने कानून के तहत कार्रवाई करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी। अखिल भारतीय लोकाधिकार संगठन की ओर से याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि डीपीसीसी एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन कराने में असमर्थ रहा है।
इन यूनिट्स के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट 2014 में निर्देश दे चुका है। इस मामले में संगठन के सदस्यों ने कई उद्योगों का मुआयना किया, जहां उन्होंने अनियमितताएं देखी। इन उद्योगों में कई किस्मों की खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कानून को ताक पर रखते हुए इन रसायनों को बिना किसी शोधन के नालों में बहा दिया जाता है। बाद में यह दूषित पानी यमुना पहुंचकर उसे जहरीला बना देता है।
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