दिल्ली की एक अदालत ने रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के धन का कथित तौर पर गबन करने के मामले में गिरफ्तार किए गए फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटरों मलविंदर सिंह और उनके भाई शिविंदर सिंह के खिलाफ मंगलवार को बुधवार को समझौता वार्ता के लिहाज से पेशी वारंट जारी किया।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत को शिविंदर सिंह के वकील ने बताया कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) समझौते में पक्ष नहीं है। वकील ने कहा कि समझौते को, धन दिए जाने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके पास अलग-अलग आरोपियों के लिए अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं। सिंह बंधुओं ने शुक्रवार को अदालत से अंतरिम जमानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि वे शिकायतकर्ता के साथ मामले को निपटाना चाहते हैं।
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शिकायतकर्ता आरएफएल के मनप्रीत सिंह सूरी ने कहा कि वह लिखित में समझौता प्रस्ताव चाहते है। अदालत ने बृहस्पतिवार को सिंह बंधुओं और अन्य आरोपियों सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा तथा अनिल सक्सेना को 31 अक्टूबर तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अदालत को बताया था कि सिंह बंधुओं ने खुलासा किया है कि कंपनियों को मिली कर्ज की राशि में से विभिन्न व्यक्तियों को करीब 1,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए गए जिसका कथित तौर पर गबन किया गया।
ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारी ने हिरासत में लेने के आवेदन में आरोपियों से हिरासत में पूछताछ का यह कहकर अनुरोध किया था कि कथित घोटाले की राशि को जिन-जिन व्यक्तियों को हस्तांतरित किया गया है उनकी पहचान किए जाने की आवश्यकता है और मुखौटा कंपनियों को बनाए जाने के उद्देश्य की जांच की जानी चाहिए।
धन की कथित हेराफेरी और उसे अन्य कंपनियों में निवेश करने के आरोप में मलविंदर (46), शिविंदर (44), गोधवानी (58), अरोड़ा (48) और सक्सेना को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया था। ईओडब्ल्यू ने आरएफएल के मनप्रीत सिंह सूरी से शिविंदर, गोधवानी और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद मार्च में प्राथमिकी दर्ज की थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि फर्म के प्रबंधन के दौरान उनके द्वारा रिण लिया गया लेकिन इस धनराशि को अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया गया।