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बायोमेट्रिक डाटा से पकड़ा जाएगा रोहिंग्या का ‘फर्जीवाड़ा’

दिल्ली में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का बायोमेट्रिक और बायोग्राफिक डाटा इकट्ठा करने की बात से रोहिंग्या मुसलमानों में अफरा तफरी मच गई है।

नई दिल्ली : दिल्ली में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का बायोमेट्रिक और बायोग्राफिक डाटा इकट्ठा करने की बात से रोहिंग्या मुसलमानों में अफरा तफरी मच गई है। बायोग्राफिक डाटा इकट्ठा करके जहां यह उनकी पहचान सुनिश्चित की जाएगी, वहीं बायोमेट्रिक डाटा लेने से रोहिंग्या के फर्जीवाड़ा पर नकेल कसी जा सकेगी।

दरअसल, दिल्ली पुलिस स्पेशल ब्रांच के उपायुक्त की तरफ से द्वारका, उत्तर पूर्वी, दक्षिण पूर्वी और पश्चिमी जिले को पत्र लिखकर रोहिंग्या मुसलमानों का बायोग्राफिक डेटा बनाने के लिए कहा गया है, जिसके बाद रोहिंग्या मुसलमानों को खतरा सताने लगा है। खतरे का कारण दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे गए फार्म का म्यांमार दूतावास की तरफ से जारी होना है, क्योंकि वह लंबे समय से म्यांमार से अपनी पहचान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों की तरफ से कई बार फार्म भरने का विरोध भी किया जा रहा है।

‘मैं म्यांमार में बंगाली हूं’… पुलिस सूत्रों ने बताया कि स्पेशल ब्रांच ने जिला पुलिस को सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह में पत्र भेजा था, जिसके बाद जिला पुलिस की ओर से बायोग्राफिक डाटा लेने की कवायद शुरू कर दी गई है। रोहिंग्या मुसलमानों को डर सता रहा है कि यह डाटा इकट्ठा करने के बाद भारत सरकार उनको म्यांमार डिपोर्ट कर देगी, जबकि उनका कहना है कि वह दोबारा म्यांमार जाने के बजाए मर जाना पसंद करेंगे। म्यांमार दूतावास के फार्म आने से पहले भी दिल्ली पुलिस ने एक फार्म भरवाया था, हालांकि नए फार्म के आने से रोहिंग्या मुसलमानों को अधिक डर सता रहा है। फार्म में एक कॉलम में लिखा हुआ है कि अमे म्यांमार बंगाली (मैं म्यांमार में बंगाली हूं)। इस कॉलम से रोहिंग्या मुसलमानों को सबसे अधिक डर है, क्योंकि यह म्यांमार में उनके अपने समाज की पहचान को लेकर चल रही लड़ाई को खत्म कर सकता है।

पुलिस डाटा लेने की कवायद से सहमत… पुलिस सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय और सरकार की तरफ यह डाटा लेने के लिए एक लंबी और दूरदर्शी प्रकिया हो सकती है, लेकिन शुरुआती तौर पर यह फार्म भरना पुलिस के लिए फायदेमंद होगा। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की तरफ से सभी रिफ्यूजी को एक विशेष कार्ड प्रदान किया जाता है, लेकिन दिल्ली में ही रहने वाले सभी रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी नहीं हैं। इनमें से कुछ अवैध तरीके से देश में घुसे हैं, जिसको बायोग्राफिक डाटा लेने की कवायद से सबसे अधिक परेशानी हो रही है।

ऐसे लोगों के खिलाफ अलग-अलग स्तर पर कार्रवाई की जा सकती है, जो अवैध तरीके से देश में घुसे हुए हैं और वह कहीं न कहीं सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक हैं। बायोग्राफिक डाटा इकट्ठा करने से स्टेट के पास कम से कम यह जानकारी है कि उनके राज्य में रहने वाले लोगों की पहचान क्या है? कभी विषम परिस्थितियों में रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने में यह बायोग्राफिक डाटा मददगार होगा। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी कुछ समय पहले कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध गतिविधियों में भी संलिप्त मिले हैं।

‘मैं म्यांमार में बंगाली हूं’… पुलिस सूत्रों ने बताया कि स्पेशल ब्रांच ने जिला पुलिस को सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह में पत्र भेजा था, जिसके बाद जिला पुलिस की ओर से बायोग्राफिक डाटा लेने की कवायद शुरू कर दी गई है। रोहिंग्या मुसलमानों को डर सता रहा है कि यह डाटा इकट्ठा करने के बाद भारत सरकार उनको म्यांमार डिपोर्ट कर देगी, जबकि उनका कहना है कि वह दोबारा म्यांमार जाने के बजाए मर जाना पसंद करेंगे। म्यांमार दूतावास के फार्म आने से पहले भी दिल्ली पुलिस ने एक फार्म भरवाया था, हालांकि नए फार्म के आने से रोहिंग्या मुसलमानों को अधिक डर सता रहा है। फार्म में एक कॉलम में लिखा हुआ है कि अमे म्यांमार बंगाली (मैं म्यांमार में बंगाली हूं)। इस कॉलम से रोहिंग्या मुसलमानों को सबसे अधिक डर है, क्योंकि यह म्यांमार में उनके अपने समाज की पहचान को लेकर चल रही लड़ाई को खत्म कर सकता है।

गलत तरीके से बनवाए गए थे दस्तावेज

पुलिस सूत्रों के अनुसार, कुछ समय पहले गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिल्ली में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों का बायोमेट्रिक और बायोग्राफिक डाटा इकट्ठा करने के लिए कहा था, जिसके बाद से ही पुलिस की कवायद शुरू हो गई। इसके पीछे यह कारण भी बायोमेट्रिक डाटा लेने से गलत तरीके से बनवाए गए दस्तावेज उजागर हो जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, ऐसे भी कई मामले सामने आए थे, जहां गलत तरीके से आधार या वोटर कार्ड बनाने की बात सामने आई थी।

बायोमेट्रिक डाटा में अवैध रोहिंग्या के फिंगर प्रिंट और आईरिस ले लिया जाएगा, जिससे कहीं भी सरकारी दस्तावेज में वह फिंगर प्रिंट मिलने पर वह दस्तावेज निरस्त कर दिया जाएगा। सुरक्षा के लिहाज से भी बायोमेट्रिक मददगार होगा, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियों को पता चल सकेगा कि कहीं यह देश के लिए खतरनाक गतिविधि में तो संलिप्त नहीं है। गृहमंत्रालय ने बैठक में पुलिस को यह भी निर्देश दिया गया कि इंटेलीजेंस यूनिट रोहिंग्या की गतिविधियों पर नजर रखें और कानून व्यवस्था बनाए रखें।

भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की नए सिरे से होगी पहचान

– रवि भूषण द्विवेदी

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