संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में तीसरा सप्ताह भी अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे की भेंट चढ़ गया और राज्यसभा में आज लगातार 15वें दिन भी कार्यवाही बाधित रही। उच्च सदन की बैठक शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई।
हंगामे की वजह से उच्च सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाए। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील करते हुए आज सदस्यों से कहा कि तीन सप्ताह से लगातार हंगामे की वजह से सदन में कोई कामकाज नहीं हो पाया है। ”लगातार यह स्थिति बने रहना ठीक नहीं है।”
इसी दौरान अन्नाद्रमुक, द्रमुक, तेदेपा और कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आ गए ओर हंगामा शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि आसन हर मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देना चाहता है। इसके बावजूद हंगामे का औचित्य समझ से परे है। नायडू ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए कहा ”यह बाजार नहीं है, यह संसद है। सदन में पोस्टर, नारेबाजी, हंगामा आखिर कब तक चलेगा। इसे किस तरह उचित ठहराया जा सकता है।”
अन्नाद्रमुक और द्रमुक के सदस्य कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग कर रहे थे। तेदेपा सदस्य और कांग्रेस के केवीपी रामचंद्र राव आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस के सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में चर्चा की मांग कर रहे थे। सपा, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और राकांपा सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे।
हंगामे पर अफसोस जाहिर करते हुए नायडू ने कहा ”तीन सप्ताह से लगातार हंगामे की वजह से सदन का न चल पाना निराशाजनक है। देश के लोग भी निराश हो गए हैं।” उन्होंने कहा ”अपने लंबे राजनीतिक जीवन में मैंने शायद ही कभी ऐसी स्थिति देखी होगी। मुझे यह बात तो समझ आती है कि अपनी मांग पर जोर देने के लिए सदस्य कुछ दिन हंगामा करें लेकिन लगातार तीन सप्ताह तक यह स्थिति बनी रहने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता।”
विपक्षी कांग्रेस और सपा के सदस्यों ने गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह विपक्षी दलों से बात ही नहीं कर रही है। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा ”आप अतीत के आधार पर वर्तमान में की जा रही गलतियों को कब तक सही ठहराना चाहते हैं। देश के लोग बदलाव चाहते हैं। क्या यह बदलाव राज्यसभा से नहीं होना चाहिए।”
नायडू ने कहा ”लोग सवाल करते हैं कि जब सदन ही नहीं चल रहा है तो कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए क्यों नहीं स्थगित की जा रही है। लेकिन ऐसा करना मेरे हाथ में नहीं है।” उन्होंने कहा ‘‘मुझे गहरी पीड़ा हो रही हैं । मैं नहीं कह सकता कि अगले सप्ताह सदन में क्या होगा। क्या आप बेहतर स्थिति के लिए कुछ बदलाव करेंगे। अगर आप सदन को चलने ही नहीं देना चाहते तो अलग बात है।’’ सदन में हंगामा थमते न देख नायडू ने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले, बैठक शुरू होने पर सभापति ने 87 साल पहले, आज ही के दिन स्वतंत्रता सेनानियों… भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी दिए जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव ने उस आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया जो हमें 15 अगस्त 1947 को मिली।
सदन में फिर अमर शहीदों के सम्मान में कुछ पल का मौन रखा गया। तत्पश्चात उन्होंने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद जब संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल उच्च सदन में अगले सप्ताह के कामकाज की जानकारी दे रहे थे तब नायडू ने वर्तमान में सदन में जारी गतिरोध को ले कर नाखुशी जाहिर की और उम्मीद जताई कि अगले सप्ताह सामान्य रूप से कामकाज होगा।
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