आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद भगवंत मान ने यहां गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश पर सरकार की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया है और यह अध्यादेश का विरोध कर रही आप की जीत है।
सांसद मान ने कहा, आप और किसानों के विरोध के बाद शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने एमएसपी अध्यादेश पर यू-टर्न ले लिया है, यह हमारी जीत है। कुछ दिनों पहले तक शिरोमणि अकाली दल इन किसान विरोधी बिलों का समर्थन कर रहा था और आज वे मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं।
पंजाब में कांग्रेस के सीएम और वित्तमंत्री, दोनों ने पहले इन बिलों का समर्थन किया था। उन्हें इन किसान विरोधी बिलों को तब रोकना चाहिए था, जब ये शुरुआती चरण में थे और तब इन बिलों को संसद तक पहुंचने ही नहीं देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर को उस दिन इस्तीफा देना चाहिए था, जब केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह बिल आया था और वह उसमें मौजूद थीं। उस समय उन्हें वाकआउट करना चाहिए था, लेकिन उस समय उन्होंने सहमति दे दी। वहीं, आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा, एमएसपी बिल के जरिए शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस का असली चेहरा किसानों के सामने बेनकाब हो गया है।
हम संसद के अंदर और बाहर अपना विरोध जारी रखेंगे और लोगों को बताएंगे कि शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस दोनों किसान विरोधी हैं। एमएसपी अध्यादेश के जरिए आज कांग्रेस और अकाली दल का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है।
उन्होंने कहा, सबने देखा है कि चाहे अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल हों या प्रकाश सिंह बादल हों या केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल हों, किस तरह से पिछले कई महीनों से इस एमएसपी अध्यादेश की वकालत करते रहे हैं। जब किसानों का दबाव इन लोगों पर पड़ा, तो किस तरह से अकाली दल के नेताओं ने गिरगिट की तरह रंग बदला है, यह साफ तौर पर देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह यदि कांग्रेस की बात की जाए तो इस अध्यादेश के लिए चर्चा करने के लिए जो हाई पॉवर कमेटी बनाई गई थी, उस हाई पावर कमेटी में पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद शामिल थे और उन्होंने इस अध्यादेश पर अपनी सहमति दी थी।
सांसद भगवंत मान ने कहा कि ये दोनों पार्टियां एक ही जैसी हैं, अंदर से कुछ और तथा बाहर से कुछ और। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है, तो लोकसभा में यह प्रस्ताव पास होना ही है। अगर सही मायने में अकाली दल और कांग्रेस किसानों की हितैषी हैं तो मिलकर राज्यसभा में इस बिल का विरोध करें, क्योंकि राज्यसभा में केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, तो राज्यसभा में इस बिल को रोका जा सकता है।