दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आमद आदमी पार्टी (आप) अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे देश में सबसे ज्यादा प्रदूषण दिल्ली में हुआ है जबकि केजरीवाल इस समस्या का हल ढूंढने की बजाय आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करने में व्यस्त हैं।
परली से हो रहा प्रदूषण तो दिल्ली की हवा सबसे खराब क्यों
बुधवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदूषण जिस तरह से हमारे बच्चों के भविष्य पर कुठाराघात कर रहा है, इसको लेकर राजनीति को दरकिनार करते हुए पार्टी लाइन से अलग सभी को एक होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘पराली पर बहुत चर्चाएं हो रही हैं, सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक बताया जा रहा है कि पराली से प्रदूषण फैल रहा है।
उन्होंने कहा अगर पंजाब में पराली जलाने से पंजाब के किसान दिल्ली को प्रदूषित कर रहे हैं और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है तो स्वाभाविक तौर पर पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा प्रदूषण होना चाहिए। लेकिन दिल्ली की हवा की खराब है, शायद दिल्ली की हवा में पराली के अलावा राजनीति भी है, कुछ न कुछ तो गड़बड़ भी है।’’
काम करने से ज्यादा वाहवाही बटोरने में किया जा रहा खर्चा : संबित पात्रा
संबित पात्रा ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है और कहा है कि प्रदूषण को लेकर आरोप प्रत्यारोप नहीं होना चाहिए। पिछली बार तो केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। न्यायालय ने यहां तक कहा दिया कि आप कितनी आमदनी करते हैं और उस आमदनी का कितना हिस्सा अपनी वाहवाही पर खर्च करते हैं, क्या इसका ऑडिट कराएं।’’
उन्होंने कहा कि केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली में 2011 की जनगणना के अनुसार, 30 हजार हेक्टेयर कृषि जमीन है और उसमें से 800 हेक्टेयर में‘बायो डीकंपोजर सोल्यूशन’ से मुफ्त में छिड़काव किया जाना था। उसमें से 744 हेक्टेयर में छिड़काव हुआ, 310 किसानों को लाभ हुआ। वह घोल 40 हजार रुपए में खरीदा गया है।
विज्ञापन पर दिल्ली सरकार ने 15.80 करोड़ रुपए किए खर्च
संबित पत्र ने कहा उस घोल में गुड और बेसन मिलाने के लिए 35 हजार रुपए खर्च किए, फिर 13.20 लाख रुपए में ट्रैक्टर किराए पर लिया गया। टेंट लगाने के लिए 9.64 लाख रुपए खर्च हुए। कुल मिलाकर 23.60 लाख रुपए का खर्च हुआ। जबकि बाकी राज्यों के किसानों को इस घोल के बारे में शिक्षित करने के लिए किये गए प्रचार विज्ञापन पर दिल्ली सरकार ने 15.80 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।