अंशु प्रकाश के साथ मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि यह राजनीतिक रूप से “विवादित मुद्दा” हो सकता है लेकिन इसमें कानूनी रूप से ज्यादा कुछ है नहीं।
अंशु प्रकाश के साथ मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
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दिल्ली के तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि यह राजनीतिक रूप से ''विवादित मुद्दा'' हो सकता है लेकिन इसमें कानूनी रूप से ज्यादा कुछ है नहीं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश आजादी का समर्थन करता है और ''हम इसका समर्थन करते हैं'' तथा साथ ही नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांत के अनुसार आरोपी के पास गवाहों के बयान की प्रति होनी चाहिए।
पीठ ने पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी की दलीलों को अस्वीकार कर दिया कि अगर हाई कोर्ट के आदेश को रद्द नहीं किया गया तो इसके कुछ गंभीर नतीजे होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''इसका ज्यादा महत्व नहीं है। यह राजनीतिक रूप से विवादित मुद्दा हो सकता है लेकिन कानूनी रूप से यह कुछ नहीं है।'' 
सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष रहने का कर्तव्य निभाना चाहिए और आरोपियों को बयान की प्रति दी जानी चाहिए। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 21 अक्टूबर को मामले में एक गवाह वी के जैन के बयान उपलब्ध कराने की अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की याचिका को खारिज करने वाले सेशन कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। 
हाई कोर्ट ने कहा था कि पुलिस यह चुन नहीं सकती कि किस सबूत को रिकॉर्ड में रखा जाएगा। वी के जैन मुख्यमंत्री के सलाहकार थे। केजरीवाल और सिसोदिया ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि अभियोजन पक्ष ने 21 फरवरी 2018 को दर्ज जैन का बयान जारी नहीं किया। उन्होंने दलील दी कि बयान की एक प्रति उन्हें दी जानी चाहिए।
यह आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट से जुड़ा है। केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को अक्टूबर, 2018 में जमानत दी गयी थी। हाई कोर्ट ने इससे पहले दो अन्य विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गयी थी।

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