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प्रदूषण को लेकर SC ने 4 राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को किया तलब, कहा- ऑड-ईवन स्थायी समाधान नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये उठाये गये कदमों की जानकारी प्राप्त करने के लिये पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली मुख्य सचिवों को तलब किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये उठाये गये कदमों की जानकारी प्राप्त करने के लिये शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली मुख्य सचिवों को तलब किया है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने के लिये प्रभावी कदम उठाने चाहिए और दिल्ली में प्रदूषण वाले 13 मुख्य स्थानों को प्रदूषकों से मुक्त किया जाना चाहिए। 
सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर ऑड ईवन की स्कीम से दुपहिया वाहनों को बाहर न रखा जाए तो मदद मिल सकती है। अगर दुपहिया वाहनों को इससे बाहर न रखा जाए तो दिल्ली के हालात में सुधार हो सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कार प्रदूषण स्तर में 3 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं और बाकी सभी वाहनों ने इसमें 28 प्रतिशत का योगदान दिया है। 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑड ईवन एक स्थायी समाधान नहीं हो सकता है, खासकर जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि कार प्रदूषण स्तर का 3 प्रतिशत है। कचरा डंपिंग, निर्माण अपशिष्ट और सड़क की धूल भी प्रदूषण के स्तर में प्रमुख योगदानकर्ता हैं। 
सुप्रीम कोर्ट ने सम-विषम योजना से दुपहिया और तिपहिया वाहनों सहित कतिपय वाहनों को छूट प्रदान करने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा और कहा कि यह योजना लागू होने के बावजूद राजधानी मे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। न्यायालय ने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने मे कटौती किये जाने के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होने पर चिंता व्यक्त् की। 
दिल्ली सरकार ने पीठ से कहा कि उसकी सम-विषम योजना प्रदूषण कम करने में मददगार हुयी है और इस क्षेत्र में प्रदूषण का मुख्य कारक पराली का जलाना है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि प्रदूषण संकट से निपटने के लिए दिल्ली में वायु एयर प्यूरीफायर टावर लगाने के लिए एक रोड मैप तैयार करे। 

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