सुप्रीम कोर्ट ने मेट्रो परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई संबंधी डीएमआरसी की याचिका की सुनवाई पर विचार करने पर बुधवार को सहमति जताई। इसमें आरोप लगाया गया है कि पेड़ों की कटाई के लिए आवश्यक अनुमति नहीं मिलने के कारण इसके निर्माण कार्य रुके हुए हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ से सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परियोजना रुकी होने के कारण करीब 3,000 कर्मचारी खाली बैठे हैं और अनुमति के अभाव में कोई निर्माण कार्य नहीं होने से डीएमआरसी को प्रति दिन 3.4 करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मामले को सूचीबद्ध करने का आश्वासन देते हुए पीठ ने शीर्ष अदालत के अधिकारी को इस पहलू पर विचार करने का निर्देश दिया। विधि अधिकारी ने कहा कि डीएमआरसी ने लंबित जनहित याचिका (पीआईएल)- शीर्षक ‘टी एन गोदावरम बनाम भारत संघ’ में अंतरिम आवेदन दायर किया है जो वन संरक्षण समेत अन्य मुद्दों से संबंधित है।
पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार से दोपहर के भोजनावकाश के दौरान मामले को लाने को कहें। डीएमआरसी के चौथे चरण की विस्तार योजना के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेड़ों की कटाई जरूरी है। डीएमआरसी ने जनकपुरी-आरके आश्रम, मौजपुर-मजलिस पार्क और एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर के विस्तार कार्य के लिए 10,000 से अधिक पेड़ों की पहचान की है और उन्हें काटने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं मिली है।