दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को निर्देश दिया कि वह ऑड-ईवन योजना को चुनौती देने वाली तीन जनहित याचिकाओं को एक प्रतिवेदन के तौर पर देखे। राष्ट्रीय राजधानी में यह योजना चार नवंबर से 15 नवंबर के बीच लागू होनी है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इन प्रतिवेदनों पर पांच नवंबर तक फैसला ले और याचिकाओं को निस्तारित कर दिया। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने पीठ को बताया कि याचिकाओं को प्रतिवेदन की तरह देखा जाएगा और कानून और नियमों के मुताबिक, जितनी जल्दी और व्यवहारिक होगा, फैसला लेंगे। इसके बाद पीठ ने याचिकाओं को निस्तारित कर दिया।
एक याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता संजीव कुमार ने आरोप लगाया कि योजना महज वोटबैंक की राजनीति और प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च करने के लिये लागू की जा रही है। याचिका में दावा किया गया कि “कारण और उपचार में पूरी तरह विरोधाभास” है।
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वहीं, शाश्वत भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में महिलाओं को सम-विषम योजना में दी गई छूट को चुनौती दी गई है। उन्होंने न्यायाधीशों, सांसदों, मंत्रियों और विभिन्न वैधानिक निकायों के प्रमुखों को दी गई छूट पर भी सवाल उठाया है। तीसरी याचिका संतोष गुप्ता द्वारा दायर की गई है जिन्होंने योजना में सीएनजी वाहनों को छूट नहीं दिये जाने के फैसले को चुनौती दी है।