पश्चिमी दिल्ली : शालीमार बाग इलाके में बीते शनिवार शाम को चार मंजिला इमारत में लगी आग में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी। पुलिस ने रविवार को मृतक महिलाओं का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है। घटना में दो बच्चों समेत चार की हालत खराब हो गई थी।
दूसरी तरफ डॉक्टरों ने अस्पताल में चारों की हालत स्थिर बताई है। पुलिस ने हादसे के बाद बिल्डिंग को देखा और परिजनों से घटना के बारे में पूछताछ की। पुलिस को स्थानीय लोगों ने बताया कि इलाके में पिछले कुछ समय से बिजली की वोल्टज दो- तीन बार हाई और लो हुई थी। शनिवार शाम तीन से छह बजे के बीच में दो से तीन बार ऐसा हुआ था।
नवनीत जैन के पहली मंजिल पर स्थित घर में बालकॉनी की तरफ दो एयर कंडीशनर लगे हुए हैं। जबकि उनमें से सटा कर गैस पाइप लाइन लगी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में गैस लीकेज की संभावना नहीं है। हो सकता है कि बिजली के तेज और कम होने पर कहीं पर शॉर्ट सर्किट हुआ था। आग किसी कमरे में सबसे पहले लगी थी। सौ गज के तीन कमरों वाले इस मकान में आग लगने से एसी, फ्रिज और टीवी पूरी तरह से जलकर खाक हो गए थे।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग कितनी भीषण लगी थी। जबकि एक अन्य कमरे में रखे कपड़ों में ज्यादा आग नहीं लगी थी। जिनको रविवार सुबह परिजनों ने कई चादरों में बांधकर नीचे उतारा था। पुलिस का कहना है कि मकान में जिस तरह से आग लगी। शुरुआती जांच में आग एक कमरे में ज्यादा आग नहीं फैली थी। जबकि दो में काफी भीषण आग थी। जिससे कमरे में रखा काफी सामान बच गया है।
पहली मंजिल पर रहने वाले नवनीत जैन ने बताया कि वह पिछले साढ़े तीन साल से अपनी पत्नी मीनाक्षी जैन के साथ रहते हैं। उनके दो बेटे वैभव रोहिणी में हैं, जबकि विशेष शालीमार बाग में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहते हैं। शनिवार सुबह वह टैंक रोड अपनी कपड़े की दुकान पर गए थे। जबकि शाम करीब तीन बजे मीनाक्षी शालीमार बाग स्थित एक मंदिर में सत्संग में गई थी। शाम करीब पौने छह बजे जब वह वापस घर आया।
घर की बालकनी से धुआं निकल रहा था। शुरू में उनको लगा कि मीनाक्षी अंदर फंस गई है। उसने तुरंत आसपास के लोगों की मदद से पत्थर फैंककर शीशा तोड़ा था। जिसके बाद अंदर पानी डालना शुरू किया। उसने मीनाक्षी को फोन किया तो उसने बताया कि वह सतसंग में है। वह तुरंत घर पहुंची। लेकिन तक आग ने पूरी इमारत को घेर लिया था।
पुलिस और दमकल ने लोगों को बचाया
बिल्डिंग की छत से पुलिस और दमकलकर्मी छत पर जाने वाली सीढ़ी में अंदर से ताला लगा हुआ था। जिसको तोड़ा गया। सीढी पर सोमवती और किरण अधमरी हालत में पड़ी थी। उनको अस्पताल में पहुंचाया गया। दमकलकर्मियों ने बताया कि आग की चपेट में आए सभी लोग अलग-अलग मंजिल के कमरों में पड़े मिले थे।
इंस्पेक्टर ने बच्चों से की थी बातें
तीसरी मंजिल पर लाजवंती रहती है। उसके साथी उसकी बेटी ऐना और उसके दो बच्चों अंक्षित और वंशिका के साथ रहती है। इंस्पेक्टर ललित उनकी बिल्डिंग के सामने अपने परिवार के साथ ही रहते हैं। जब आग लगी, चारों के चिल्लाने की आवाज सुनकर उन्होंने बच्चों को फोन किया था।
कांता से बहन मिलने आई थी
दूसरी मंजिल पर रहने वाली कांता के पति का काफी समय पहले देहांत हो गया है। शनिवार को उसकी बहन अपने बेटे को लेकर मिलने के लिए आई थी। जब आग लगी। कांता अंदर के कमरे में रह गई थी। जबकि उसकी बहन और बेटा किसी तरह से बराबर की बिल्डिंग पर आ गए थे।
आपातकालीन दरवाजा नहीं था… लोगों ने बताया कि मकान को बने करीब चार साल हुए हैं। शालीमार बाग में बनी किसी भी इमारत में आपातकालीन दरवाजा नहीं हैं। यहां पर ग्राउंड फ्लोर पर एक दरवाजा है। जिसपर हमेशा ताला लगा रहता है। शुक्र है कि आग नीचे की तरफ नहीं आई। जहां पर बिजली के मीटर भी लगे थे। बिल्डर, एमसीडी अधिकारियों की मिलीभगत से इमारत बनाकर हादसों का कारण बनते हैं।