नई दिल्ली : रामलीला मैदान में आयोजित रैली को भले ही प्रदेश भाजपा के नेता सफल बताकर एक-दूसरे की कमर ठोकते हुए एकजुटता दिखा रहे हों, लेकिन प्रदेश उपाध्यक्ष शाजिया इल्मी ने रामलीला मैदान में मंच तक न पहुंच पाने को लेकर प्रदेश और केन्द्रीय संगठन के पदाधिकारियों के समक्ष अपनी ओर से आपत्ति दर्ज करायी है। यह मसला सोमवार को भाजपा के आंगन से बाहर कूदकर बाहर निकल आया और प्रदेश पदाधिकारियों के ग्रुप पर की गई चैट सार्वजनिक हो गई।
आरोप है कि रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शाजिया इल्मी का एसपीजी पास नहीं बनाया गया जिस कारण वे मंच तक नहीं पहुंच सकीं। कार्यक्रम में ही यह बात धीरे-धीरे सार्वजनिक हो गई थी। दरअसल शाजिया इल्मी प्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष हैं जिनका मंच तक नहीं पहुंचने पर दर्द छलक उठा। खास बात यह है कि गत रविवार की रैली में मुख्य मुद्दा कच्ची कॉलोनियों के साथ-साथ नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर भी केन्द्रित रहा था, ऐसे में एकमात्र मुस्लिम पदाधिकारी शाजिया मंच पर नहीं पहुंच सकीं।
आरोप है कि उनका एसपीजी पास जानबूझकर नहीं बनाया गया और पहले भी उनके साथ ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इस संबंध में जब प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शाजिया इल्मी से बात की गई तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि पार्टी का आंतरिक मामला बाहर कैसे आ गया, इसे लेकर अचंभित हूं।
उन्होंने कहा कि रविवार को रामलीला मैदान में आयोजित रैली में जिस प्रकार से मेरी उपेक्षा की गई, वह वास्तव में किसी की शरारत रही है। इस संबंध में प्रदेश और शीर्ष पदाधिकारियों से मिलकर मैंने अपना पक्ष उनके समक्ष रख दिया है। मुझे शीर्ष नेताओं की ओर से खेद प्रकट करते हुए आश्वस्त किया गया है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी।
भाजपा पदाधिकारियों को ग्रुप पर यह लिखा
संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, दिल्ली के प्रभारी श्याम जाजू, विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हरदीप सिंह पुरी आदि को लिखकर शाजिया इल्मी ने पूछा है कि पास बनाने की सूची किसने बनाई और उनके साथ यह भेदभाव फिर से किया गया और क्यों किया गया, क्या किसी निजी दुर्भावना का उन्हें शिकार बनाया जा रहा है, क्या भाजपा के किसी भी पदाधिकारी को इस तरह खुली मनमानी करने का अधिकार है।
इस तानाशाही और पक्षपात की तह में जाना पड़ेगा। पर्सनल एजेंडा और खुल्लम क्या जायज है? मैं इसके खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग कर रही हूं। मैं भाजपा दिल्ली परिवार से मदद की अपील करती हूं। बार-बार यह अपमान नहीं सहूंगी।