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सिसोदिया का केंद्र पर वार, बोले- SC के दखल से पहले ही सरकार को 12वीं की परीक्षा रद्द कर देनी चाहिए थी

मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के पहले ही 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का निर्णय ले लिया जाना चाहिए था। हालांकि सिसोदिया ने 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम मूल्यांकन करने की प्रक्रिया की प्रशंसा की।

12वीं कक्षा के छात्रों को पिछले काफी दिनों से इंतजार था कि उनका परिणाम आखिर किस आधार पर घोषित किया जाएगा, खैर फिलहाल लंबे समय के बाद ही सही पर यह साफ हो गया। लेकिन दूसरी तरफ, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरूवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। 
मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के पहले ही 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का निर्णय ले लिया जाना चाहिए था। हालांकि सिसोदिया ने 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम मूल्यांकन करने की प्रक्रिया की प्रशंसा की और कहा कि इस बात की खुशी है कि छात्रों के मार्क्स का मूल्यांकन करने के लिए उनके सुझाव पर गौर किया गया। 
गौरतलब है कि सीबीएसई ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि वह 12वीं कक्षा के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर क्रमश: 30:30:40 का फॉर्मूला अपनाएगा।सीबीएसई ने अदालत को अपनी मूल्यांकन प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 12वीं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन में 30 प्रतिशत अंक 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के आधार पर, 30 प्रतिशत 11वीं कक्षा के अंक के आधार पर और 40 प्रतिशत अंक 12वीं कक्षा की अर्धवार्षिक परीक्षा या प्री बोर्ड परीक्षा के आधार पर दिए जाएंगे। 
सीबीएसई ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की वजह से एक जून को 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा रद्द करने की घोषणा की थी। सिसोदिया ने एक बयान में कहा, ‘‘ 12वीं कक्षा के 1.5 करोड़ विद्यार्थियों की सुरक्षा और संरक्षा को देखते हुए बोर्ड परीक्षा को रद्द करने का फैसला स्वागत योग्य है। मूल्यांकन मानदंड के बारे में हमने सुझाव दिया था जिसमें 10वीं,11वीं और 12वीं कक्षा के प्रदर्शन पर गौर करने का कहा गया था, उसपर संज्ञान लिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें बहुत पहले बोर्ड परीक्षा को रद्द करने पर विचार करना चाहिए था,बजाय कि मामले में उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप का इंतजार किया जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उच्चतम न्यायालय और राज्य सरकारों को हस्तक्षेप करना पड़ा और बोर्ड परीक्षा रद्द करने के लिए प्रदर्शन करना पड़ा। अगर हमारी केंद्र सरकार ने अधिक मानवीय रुख अपनाया होता और विद्यार्थियों के अनुरोध को सुना होता तो हम स्थिति का और बेहतर प्रबंधन कर सकते थे। खैर, हम खुश हैं कि यह फैसला अंतत: विद्यार्थियों के हित में लिया गया।’’
उन्होंने जोर दिया कि वर्ष 2022 के लिए इसी तरह की या बेहतर मूल्यांकन प्रणाली की जरूरत है। सिसोदिया ने कहा, ‘‘हमने अभूतपूर्व परिस्थितियों के मद्देनजर इस साल विस्तृत मूल्यांकन प्रक्रिया बोर्ड परीक्षा के लिए बनाई है। इसी तरह हमें अगले साल भी विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए मानदंड विकसित करना होगा। हम नहीं मानते कि शीघ्र ही हालात सामान्य होंगे।’’

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