नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में गुरुवार को विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में कई अस्पतालों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम के दौरान मधुमेह को कैसे मात दी जा सकती है और इसकी पहचानने के लिए क्या लक्षण होते हैं इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. कृष्णा बिस्वास ने कहा कि मधुमेह को रोका जा सकता है। इसके लिए जीवनशैली पर नियंत्रण आवश्यक है।
जिन लोगों को मधुमेह है, वे नित्य जांच से अपने शरीर को घातक बीमारियों की चपेट में लाने से बचा सकते हैं। इसके अलावा हार्ट रोग का खतरा मधुमेह रोगियों को ज्यादा रहता है। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम करें और समय-समय पर उपचार करवाते रहें।
बता दें कि सफदरजंग अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में 300 मरीजों की जांच हुई। इन मरीजों की आयु 30 वर्ष से ऊपर थी। इस दौरान चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने लोगों को बीमारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मोटापा होने की वजह से डायबिटीज तेजी से फैलती है।
जंक फूड पर बने कानून
राजधानी दिल्ली के आयुष डॉक्टरों ने देश में बिक रहे जंक फूड को लेकर एक सख्त कानून बनाने की मांग की है। कहा, सरकार जल्द ही इसपर फैसला नहीं ली तो देश में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैल जाएंगी। डॉक्टरों के अनुसार जंक फूड व प्रोसैस्ड फूड में तेल, घी और मक्खन की क्वालिटी और मात्रा की जांच के लिए सख्त कानून बनना चाहिए। स्कूल कैंटीन में जंक फूड और फास्ट फूड पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
यही नहीं देश के सभी स्कूलों में शारीरिक स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन 1 घंटे का समय निश्चित किया जाए जिसमें व्यायाम, योग और तनाव मुक्ति थेरेपी की प्रैक्टिस कराई जाए।
मधुमेह की बीमारी से सात करोड़ लोग हैं पीड़ित…
आयुष डॉक्टर आरपी पाराशर ने कहा कि इस समय विश्व भर में मधुमेह के 42 करोड़ से अधिक मरीज हैं। खास बात है कि इनमें से 7 करोड़ लोग भारत के हैं। स्कूल कैंटीन में जंक फूड खाने के अलावा बच्चे दिन भर में टॉफी, चॉकलेट, बिस्कुट और चिप्स का सेवन भी करते हैं जिससे शरीर में फैट, ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है जो मधुमेह की उत्पत्ति के प्रमुख कारण हैं। बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी स्वस्थ और पौष्टिक भोजन के महत्व के बारे में बताया जाएगा।