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सोनिया और राहुल गांधी का दिल्ली HC में जवाब – नेशनल हेराल्ड मामले में स्वामी की याचिका गलत

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में निचली अदालत में अपने साक्ष्य पेश करने की मांग संबंधी याचिका “गलत व अपरिपक्व” है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा नेशनल हेराल्ड मामले में निचली अदालत में अपने साक्ष्य पेश करने की मांग संबंधी याचिका “गलत व अपरिपक्व” है। निचली अदालत ने 11 फरवरी को, फिलहाल के लिये, गांधी परिवार के सदस्यों और मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य पेश करने की स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
गांधी ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि स्वामी किसी राहत के लिये अधिकृत नहीं हैं और उनकी याचिका को लागत के साथ खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि निचली अदालत का आदेश उनकी याचिका के गुण-दोष पर विचार नहीं करता और उसने गवाहों को बुलाने और दस्तावेजों पर विचार करने को तब तक टाल दिया था जब तक साक्ष्यों को दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
उच्च न्यायालय के 22 फरवरी के आदेश के अनुपालन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एआईसीसी महासचिव ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया (वाईआई) की तरफ से स्वामी की याचिका पर जवाब दायर किये गए थे। ये सभी नेशनल हेराल्ड धोखाधड़ी मामले में आरोपी हैं। उच्च न्यायालय ने अब इस मामले को अंतिम दलीलों के लिये सूचीबद्ध किया है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि मामले में प्लीडिंग्स पूरी हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘30 जुलाई को अंतिम बहस के लिए इसे फिर से सूचीबद्ध किया जाए।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा और तरन्नुम चीमा ने कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधित्व किया। निचली अदालत ने कहा था कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 244 के तहत साक्ष्य पेश करने की स्वामी की याचिका पर मामले में उनका परीक्षण पूरा होने के बाद विचार किया जाएगा।
याचिका पर अपने जवाब में कांग्रेस नेताओं ने कहा, “मौजूदा याचिका गलत व अपरिपक्व है। (निचली अदालत का) आदेश किसी भी तरीके से याचिकाकर्ता (स्वामी) की याचिका के गुण-दोष में नहीं जाता है और गवाहों व साक्ष्यों को तलब किये जाने के मुद्दे का विचार तब तक टाल दिया जाता है जब तक कि याचिकाकर्ता के साक्ष्य पूरे नहीं हो जाते।” इसमें कहा गया कि स्वामी की याचिका पर फैसला नहीं हुआ है और जिस आदेश को लेकर चर्चा हो रही है वह अंतरिम आदेश की प्रकृति का है।
जवाब में कहा गया, “याचिकाकर्ता सभी तथ्यों को बताकर इस अदालत के समक्ष नहीं आया है। गवाहों को बुलाने के लिये याचिका दायर करने का अवसर उचित मंच पर याचिकाकर्ता को बार-बार उपलब्ध कराया गया है।” स्वामी ने अदालत को बताया कि बहस पूरी हो चुकी है और उन्होंने प्रत्युत्तर भी दायर कर दिया है। उच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को स्वामी की याचिका पर नोटिस जारी किया था और तब तक निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।

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