नई दिल्ली : सीपेज को रोकने से संबंधित एक मामले में साउथ एमसीडी ने एनजीटी को बताया था कि 70 फीसदी काम हो चुका है। लेकिन याचिकाकर्ता ने तथ्यों को पेश करते हुए कहा कि 30 फीसदी ही काम पूरा हो सका है। इस पर एनजीटी ने साउथ एमसीडी को एफिडेविट दाखिल कर विस्तृत जानकारी मांगी है। दरअसल, बीते माह साउथ एमसीडी ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया था कि लगभग 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। लिहाजा काम पूरा करने के लिए और समय चाहिए।
अगली सुनवाई तक या उससे पहले भी काम पूरा हो सकता है। लेकिन बीते सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने साउथ एमसीडी के रिपोर्ट को गलत बताते हुए एनजीटी को बताया कि महज 30 फीसदी ही काम हो सका है। इसकी सुनवाई एनजीटी जस्टिस रघुवेंद्र एस राठौड़ व एक्सपर्ट मेंबर डॉ. सत्यवान सिंह गरब्याल की बेंच कर रही थी। एनजीटी स्थानीय निवासी चार्वी मेहरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीपेज के बहाव को रोकने की मांग की गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि इसके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साउथ एमसीडी ने एनजीटी को बताया था कि प्राइवेट लेबरों की मदद से पानी के रिसाव पर नियंत्रण पा लिया गया है। जबकि पूरी तरह से इसे ठीक करने में स्थानीय लोगों से सहयोग नहीं मिल रहा है। साउथ एमसीडी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि उन्हें स्थानीय निवासियों का ही सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में समस्या को खत्म कैसे करें।
जबकि इस संबंध में साउथ एमसीडी ने संबंधित फ्लैट मालिकों और संबंधित एसएचओ को भी सूचित किया था, लेकिन इस मामले में संबंधित एसएचओ से भी कोई सहयोग नहीं मिला। इस पर मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने महरौली एसएचओ को साउथ एमसीडी अधिकारियों के साथ साइट विजिट करने का निर्देश दिया था। साथ ही फ्लैट मालिकों को भी दस-दस हजार की राशि साउथ एमसीडी के पास जमा कराने का निर्देश दिया गया था।