पश्चिमी दिल्ली : राजधानी के जीटीबी नगर में चल रहे इंस्टीट्यूट की आड़ में मौत की इन फैक्ट्रियों में पढ़ने वाले छात्रों का जीवन कितना सुरक्षित है? इस बात की जमीनी हकीकत जानने के लिए पंजाब केसरी टीम ने एक रियलिटी चेक किया, जहां इन इंस्टीट्यूट में कई तरह की अनमितताएं (खामियां) देखने को मिली, जिसमें यहां के कई इंस्टीट्यूट में सुरक्षा को लेकर कोई फायर सेफ्टी उपकरण मौजूद नहीं थे।
वहीं इन कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहद संकरे रास्तों से गुजरकर जाना पड़ता है। इन इंस्टीट्यूट में फायर एग्जिट डोर नहीं बनाए गए हैं। बच्चें कम फीस के लालच में इन अवैध कोचिंग सेंटरों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं। पंजाब केसरी रियलिटी चेक में यह बात भी सामने आई कि जब हम संकरी गली में बने एक इंस्टीट्यूट में गए तो वहां फायर सिलेंडर तक मौजूद नहीं था इतना ही नहीं अगर यहां कोई आगजनी की घटना होती है तो यहां पर एम्बुलेंस जाने तक का रास्ता नहीं है।
ऐसे में दूर-दूर राज्यों से आने वाले छात्रों के जीवन व उनके सपनों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। इन अवैध कोचिंग सेंटरों की जांच कोई संबंधित एजेंसी करने को तैयार नहीं है। उन को भी एक बड़े हादसे का इंतजार है।
सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़… सच तो यह है की कई नए इंस्टीट्यूट खुल जाते हैं लेकिन सुरक्षा के साथ- साथ सुविधाओं के नाम पर बस खानापूर्ति है। जरूरत है प्रशासन को इस ओर सख्त कदम उठाने की ताकि आगे होने वाले किसी भी घटनाओं से बचा जा सके।
बिजली के तारों का जंजाल
इन इंस्टीट्यूट की खिड़कियों के बाहर बिजली के तारों का जाल बना हुआ है। वह कभी भी किसी बड़े हादसे को निमंत्रण दे सकता है। पंजाब केसरी की टीम ने जब पूरे इलाके में चल रहे इंस्टीट्यूट का दौरा किया तो सब की सुरक्षा राम भरोसे थी, यही नहीं खिड़कियों को बंद करके उनके ऊपर कोचिंग सेटरों ने अपने-अपने प्रचार-प्रसार के होंडिग बैनर लगा रखे हैं।
अगर कोई आग की घटना हो जाती है तो बच्चों को इन खिड़कियों के सहारे भी बाहर नहीं निकाला जा सकता हैं। देखा जाए तो यह हाल हर इंस्टीट्यूट के पास देखी जा सकती है।
– ववीता चौहान