दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के अधिकारियों ने नर्सिंग प्रभारी को निर्देश दिया है कि उपचार के दौरान मरने वाले रोगियों के सामान को उचित ढंग से संक्रमण-मुक्त करने के बाद उसे सुरक्षा कार्यालय को सौंप दिया जाए। आठ जून को जारी एक परिपत्र में, दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल ने कहा था कि उसे मृतक रोगियों के सामान के बारे में नियमित रूप से विभिन्न शिकायतें मिल रही हैं।
उसमें कहा गया है, ‘‘संबंधित मंजिलों के सभी नर्सिंग प्रभारी को एक बैग में सभी सामान (मोबाइल फोन, चार्जर, आईडी आदि) डालने का निर्देश दिया जाता है। उस पर ठीक से लेबल लगाएं और संक्रमण-मुक्त करने के बाद उन्हें सुरक्षा कार्यालय को सौंप दें।’’ अस्पताल ने चेतावनी दी है कि उपरोक्त परिपत्र का अनुपालन न करने पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने कोविड-19 नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर अपने चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। अस्पताल की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में दर्ज इस याचिका पर सोमवार को न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष सुनवाई होगी।अस्पताल का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता रोहित अग्रवाल ने कहा कि वे राजेन्द्र नगर थाने में पांच जून को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की अपील कर रहे हैं।
याचिका में कोविड-19 संदिग्धों या उनके संपर्क में आए लोगों के आरटी/पीसीआर ऐप के जरिये उसे नमूने लेने के मना करने के तीन जून के दिल्ली सरकार के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
दिल्ली सरकार ने 675 बिस्तरों वाले निजी सर गंगाराम अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल घोषित करते हुए 80 प्रतिशत बिस्तर कोरोना वायरस रोगियों के लिये आरक्षित करने के लिये कहा था।
प्राथमिकी के अनुसार शिकायतकर्ता दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया गया है कि अस्पताल में कोविड-19 रोगियों के नमूने लेते समय आर-टी/पीसीआर ऐप का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रयोगशालाओं के लिये इस ऐप के जरिये नमूने लेना ‘अनिवार्य’ हैं।