दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर शनिवार शाम जबरदस्त सर्दी के बावजूद सैकड़ों छात्रों, पेशेवरों और नागरिक समाज संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इसके मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए और और कहा कि नए कानून से देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बिखर सकता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र ने कहा, ‘‘बहुत से शिक्षित लोगों को यह जानकारी नहीं है कि देश में क्या हो रहा है। यह कानून देश के धर्मनिरपेक्ष तानबाने को नष्ट कर सकता है। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और संशोधित नागरिकता कानून मिलकर बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं।’’
दिल्ली और आसपास के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया जबकि पेशेवर अपने कार्यालयों से छुट्टी लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए।
कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस ने बड़ी संख्या में जवानों को तैनात किया। इनके अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दो कंपनियां तैनात की गई है जिसमें से एक का नेतृत्व महिला अधिकारी कर रही थी।
प्रदर्शन इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति स्मारक के पास पुलिस की निगरानी में हुई। शाम करीब आठ बजे 100 लोग प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए लेकिन पुलिस द्वारा प्रवेश नहीं देने पर उनकी बहस हुई। इसके बाद उन्होंने सड़क पर ही नारेबाजी शुरू कर दी जिसके बाद पुलिस ने अवरोधक हटा दिये और उन्हें प्रदर्शन में जाने दिया।
इस बीच शनिवार को 100 वकीलों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नजदीक प्रदर्शन किया और संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ अपना विरोध जताया।
वकील विश्वविद्यालय के गेट संख्या सात के नजदीक एकत्र हुए जहां पर छात्रों द्वारा मुख्य प्रदर्शन किया जा रहा था। वकीलों ने कहा कि हम छात्रों पर हुई बर्बर कार्रवाई की निंदा करते हैं।