नई दिल्ली : बेहतर दुनिया और दूरगामी परिवर्तन के लिए विश्वविद्यालयों के पास सामर्थ्य और बेहतरीन अवसर हैं। मुझे विश्वास है कि विवि अपने वोकेशनल कार्यक्रमों को और बेहतर और सुलभ बनाएगा। यह कहना है दिल्ली के उपराज्यपाल और अंबेडकर विश्वविद्यालय (एयूडी) दिल्ली के कुलाधिपति अनिल बैजल का।
दरअसल, वह सोमवार को विवि के आठवां दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उपाधि हासिल करने वाले विद्यार्थी ही विश्वविद्यालय के दूत बनेंगे। सुखद और संपन्न जीवन हो यह सबकी इच्छा होती है। पर लोगों के जीवन में बदलाव लाना ही हमारा मूल लक्ष्य है। अगर हर विद्यार्थी किसी एक व्यक्ति के जीवन में भी बदलाव ला सका तो वह दूसरों के लिए मॉडल बन सकता है।
उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में एयूडी को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दौरान दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री व शिक्षा-मंत्री मनीष सिसोदिया मुख्य अतिथि व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) प्रोफेसर डीपी सिंह विशिष्ट अतिथि थे। वहीं मनीष सिसोदिया ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आप सिर्फ खुद के नहीं अपने परिजनों के सपने भी साकार कर रहे हैं।
उन्होंने एयूडी को भारत के सम्मानित विश्वविद्यालयों में से एक बताया। साथ ही विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के प्रति जवाबदेह रहते हुए अपने पेशेवर निजी जीवन में जिम्मेदार होने की सलाह दी। उन्होंने विश्वविद्यालय को दिल्ली सरकार का विकास-साझी दार बताते हुए कहा कि सरकार जब भी नई नीतियों के बारे में सोचती है, हमेशा एयूडी का प्रयोग उनके सामने होता है। विवि के कुलपति प्रोफेसर अनु सिंह लाथर ने विश्वविद्यालय में नए किस्म के अध्यापन और कल्पनाशील पाठ्यक्रमों के निर्माण को रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष कुल 824 विद्यार्थियों को उपाधि दी जा रही है। जिनमें 322 स्नातक, 452 परास्नातक, 35 एमफिल, 9 पीएचडी और 6 डिप्लोमा उपाधियां हैं। उन्होंने गर्व के साथ बताया कि उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 64 फीसदी महिलाएं हैं। यही नहीं उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में 50 फीसदी अध्यापक महिलाएं हैं, जिससे अम्बेडकर विश्वविद्यालय के समता और न्याय आधारितन जरिए का पता चलता है।