उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 30 अगस्त को प्रदेश में हर तरह के फतवे पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने धार्मिक संस्थाओं, संगठनों, पंचायतों, स्थानीय पंचायतों और जन समूहों की ओर से फतवा जारी करने पर प्रतिबंध लगाया था। कोर्ट ने फतवे को गैर संवैधानिक करार देते हुए इसे व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के खिलाफ करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है, वहीं, याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
दरअसल कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की पीठ ने यह प्रतिबंध हरिद्वार के एक गांव में नाबालिग से रेप के बाद जारी हुए फतवे के बाद लगाया था। नाबालिग युवती से दुष्कर्म के बाद गर्भवती होने और दबंगों के खिलाफ मुंह खोलने पर पंचायत ने पीड़िता को गांव से बाहर करने का फतवा जारी किया था। कोर्ट ने पंचायत के फतवे जारी करने को गंभीर माना और कहा कि पीड़िता के साथ सहानुभूति व्यक्त करने के बजाय परिवार को गांव से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।